भारतीय रिज़र्व बैंक का गठन अंबेडकर द्वारा ही तैयार किए गए गाइडलाइंस, वर्किंग स्टाइल और आउटलुक को लेकर तैयार किए गए कॉन्सेप्ट पर हुआ था। अंबेडकर ने यह कॉन्सेप्ट ‘हिल्टन यंग कमीशन’ के सामने पेश किया था।
हिल्टन यंग कमीशन के सदस्यों के हाथ में थी अंबेडकर की किताब। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर राजनीतिक शख्सियत होने के साथ ही आंबेडकर शानदार स्कॉलर भी थे, जिनकी राजनीति से लेकर अर्थशास्त्र तक पर समान रूप से पकड़ थी। उन्होंने अपनी डॉक्टरेट की डिग्री अर्थशास्त्र में ही की थी। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की बात की जाए तो उनकी ओर से हिल्टन यंग कमीशन को दिए गए सुझावों के तहत ही संस्था को गठित किया गया।
हिल्टन यंग कमीशन को रॉयल कमिशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस के नाम से भी जाना जाता था। आंबेडकर की पुस्तक ‘रुपये का संकट’ से भी हिल्टन यंग कमीशन को काफी मदद मिली थी।
आरबीआई (सौ. सोशल मीडिया )
भारतीय रिज़र्व बैंक का गठन अंबेडकर द्वारा ही तैयार किए गए गाइडलाइंस, वर्किंग स्टाइल और आउटलुक को लेकर तैयार किए गए कॉन्सेप्ट पर हुआ था। अंबेडकर ने यह कॉन्सेप्ट ‘हिल्टन यंग कमीशन’ के सामने पेश किया था।
हिल्टन यंग कमीशन को ‘रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस’ भी कहा जाता है। जब भारत में इस कमीशन को लेकर काम शुरू हुआ, तब कमीशन के सभी सदस्यों के हाथ में एक किताब थी। इस किताब को डॉ. अंबेडकर ने लिखा था। इसका शीर्षक था, ‘The Problem of the Rupee – Its Origin and Its Solution’ यानी भारतीय रुपये की समस्या – इसकी उत्पत्ति व समाधान।
कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 1934 में आरबीआई एक्ट को केंद्रीय विधानसभा में पास किया गया। आरबीआई एक्ट में केंद्रीय बैंक की जरूरत, वर्किंग स्टाइल और उसके आउटलुक को अंबेडकर के उसी कॉन्सेप्ट के आधार पर तैयार किया गया था, जो उन्होंने हिल्टन यंग कमीशन के सामने पेश किया था।
25 अगस्त 1925 को रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस का गठन किया गया था। कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 4 अगस्त, 1926 को सबमिट कर दी थी। सितंबर 1926 के फेडरल रिज़र्व बुलेटिन में इस रिपोर्ट को संक्षेप में प्रकाशित भी किया गया था।
01 अप्रैल 1935 को भारत को रिज़र्व बैंक के रूप में अपना केंद्रीय बैंक मिल चुका था। हालांकि, अभी तक आरबीआई के गठन में बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान बहुत अहम है।