मुंबई: मिर्जापुर 3 में भी मिर्जापुर सीजन 1 और सीजन 2 की तरह पंच लाइन और जबरदस्त डायलॉग की भरमार है। कुछ ऐसे डायलॉग भी हैं, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे। वहीं कुछ गंभीर डायलॉग भी हैं, जिसे सुनकर आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। कुछ इसी तरह के डायलॉग जिन्होंने दर्शकों का दिल जीता है और यह डायलॉग इस सीजन की जान बन गए हैं। चलिए डालते हैं इन डायलॉग पर एक नजर…
जिनके पेट में दांत होते हैं उनके ठिकाने भी बहुत होते हैं
यह डायलॉग गोलू तब बोलती है जब उसे यह शक हो जाता है कि कालीन शरद शुक्ला के पास है। लेकिन गुड्डू पंडित यह कहता है कि उसके सभी ठिकाने पर तो हम नजर दौड़ा ही चुके हैं। तब गोलू इस डायलॉग का इस्तेमाल करती है।
खेल आज भी वही है बस मोहरे बदल गए हैं
यह डायलॉग इस सीजन में कई बार आपको सुनने को मिलेगा। अलग-अलग मौके पर अलग-अलग किरदारों ने इस डायलॉग का इस्तेमाल किया है। दरअसल मिर्जापुर पर कभी कालीन भैया का राज हुआ करता था और अब गुड्डू पंडित की हुकूमत चल रही है। इसी बात को लेकर यह डायलॉग कई बार इस्तेमाल किया गया।
सिरे ढूंढने जाओगी तो भटक जाओगी
लाला और उसकी बेटी शबनम के बीच जेल में बात हो रही है लाला की बेटी को ये लगता है कि उसके परिवार की यह हालत उसकी वजह से हुई है, तब लाला उसे इस डायलॉग के माध्यम से समझाता है, कि सिरे ढूंढ़ने जाओगी तो भटक जाओगी, हम जिस व्यापार में है उसमें तो यह होना ही था, मलाल तो इस बात का है कि हम तुम्हें इस दलदल से निकाल नहीं पाए।
घोषणा पत्र का वादा कमरे में कौन पादा
मुख्यमंत्री के कार्यालय में कैबिनेट मीटिंग चल रही है। जहां मंत्रीगण भी बैठे हुए हैं। इस बीच मंत्री जी मुख्यमंत्री मैडम से कहते हैं। घोषणा पत्र का वादा और कमरे में कौन पादा यह कोई नहीं पूछता मैडम। इस डायलॉग की टाइमिंग और कॉमिक सेंस बेहद बढ़िया है आपकी हंसी नहीं रुकेगी।
पोस्टर बड़ा करना है तो छोटी हरकतें छोड़ दीजिए नेताजी
ये डायलॉग गोलू और नेताजी के बीच में है। नेताजी जो गोलू को जेपी यादव का पता बताने वाले हैं। गोलू उन्हें सुझाव देती है कि अगर अपने कद को बड़ा करना है तो अपनी ओछी हरकतों से बाज आना होगा।
कवि सम्मेलन ने उड़ाया गर्दा
डायलॉग के अलावा इस फिल्म में कवि सम्मेलन वाला एक सीन है और उस सीन ने जबरदस्त धमाल मचाया है। कवि सम्मेलन का दृश्य इस पूरे सीजन की धड़कन कहा जा सकता है। जिसमें दर्शकों को न सिर्फ मजा आया बल्कि वह हंसते-हंसते भी लोटपोट नजर आये। डायलॉग के अलावा नारेबाजी वाला एक सीन है। जिसमें गुड्डू पंडित के लिए नारा दिया गया है। सारे झंडू हो गए ढेर, गुड्डू भैया बन गए शेर। ये कहा जा सकता है कि ऊपर बताए गए सभी डायलॉग लंबे समय तक याद रखे जाएंगे।