यवतमाल बारिश (सोर्स: सोशल मीडिया)
Yavatmal Rainfall Record: कभी सूखे से जूझने वाला यवतमाल जिला अब बारिश की अधिकता से त्रस्त है। पिछले दस वर्षों में से पांच वर्षों में बारिश ने वार्षिक औसत को पार किया है। इससे गर्मियों की पानी किल्लत में थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन खरीफ की फसलों को इसका बडा झटका लग रहा है। भले ही बारिश की मात्रा बढ़ रही है, लेकिन मृग नक्षत्र के पहले दिन बारिश शुरू होने की परंपरा टूट चुकी है।
अब जून में हल्की-फुल्की बारिश होती है और फिर जुलाई में जमकर बरसात होती है। अगस्त में पारंपरिक ‘श्रावणसरी’ होती है, लेकिन इस बार जुलाई में बारिश कम हुई और अगस्त में रिमझिम के बजाय झमाझम बरसी। सितंबर के आख़िर तक ठंडक महसूस होने लगती थी, लेकिन इस बार सितंबर के अंत तक भी बारिश का सिलसिला जारी है। धुंध भले ही पड़ी हो, पर ठंड की आहट अब तक नहीं मिली।
अगस्त और सितंबर में कम समय में ज्यादा बारिश होने से खेतों की पकी फसलें चौपट हो गईं। गांवों में अभी भी लोग बाढ़ जैसी परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। साल 2013 से 2025 तक छह बार बारिश ने वार्षिक औसत को पार किया है।
पिछले दस सालों में पांच बार औसत से ज्यादा बारिश दर्ज हुई। इस साल सितंबर खत्म होने से पहले ही बारिश 930 मिमी की औसत को पार कर 936 मिमी तक पहुंच गई है। मौसम विभाग ने अभी भी आगे बारिश का अनुमान जताया है।
जिन वर्षों में बारिश ने औसत को पार किया, उन सालों में खरीफ की फसलों का बड़ा नुकसान हुआ। जबकि जिन सालों में बारिश औसत से कम हुई, उन सालों में गर्मियों में यवतमाल शहर के नागरिकों को भीषण पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा।
2014 से 2020 तक लगातार सात वर्षों में औसत से कम बारिश हुई। इस दौरान हर गर्मी भयावह किल्लत साबित हुई। 2018 और 2019 में तो यवतमालकरों को नहाने के लिए भी पानी खरीदना पड़ा। लेकिन 2021 से बारिश ने औसत को पार करना शुरू किया और गर्मियों की टंचाई में कुछ राहत मिली।
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