
दुय्यम पंजीयक कार्यालय को स्थानांतरित न किया जाए
Maharashtra Crop Loss Relief Fund: यवतमाल जिले के किसानों को इससे 638 करोड़ रुपए मिलेंगे। इससे जिले के पांच लाख किसानों को लाभ होगा। ऐन चुनावों से पहले राज्य सरकार की ओर से किसानोंको यह राहत दी गई है। जून से सितंबर तक भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित किसानों को प्रति हेक्टेयर 10,000 रुपए दिए जाएंगे। यह राशि तीन हेक्टेयर की सीमा के भीतर किसानों के स्वातों में हस्तांतरित की जाएगी।
यह सहायता उतने ही हेक्टेयर के लिए दी जाएगी जितने खरीफ सीजन में नुकसान हुआ था।इसी के तहत, जिला प्रशासन ने यवतमाल जिले के 5,23,446 किसानों के लिए 638 करोड़ 158 लाख की राशि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव पेश किया था। संयुक्त सचिव संपत सूर्यवंशी ने इस निधि को स्वीकृत करने का पत्र जारी किया है। इससे रबी की बुआई में किसानों को मदद मिलेगी।
बार-बार हो रही बारिश से फसलों को काफी नुकसान हो रहा है। यदि अत्यधिक वर्षा होती है, तो चने की फसल बर्बाद होने की संभावना है। इसकी तुलना में, अधिक वर्षा की आवश्यकता वाली गेहूं की फसल को लाभ होता है। जिले के किसानों के लिए गेहूं की बुआई बढ़ाने का यही एकमात्र तरीका है। सरकार ने धनराशि स्वीकृत करते हुए आदेश जारी कर दिया है, यह धनराशि किसानों के खातों में हस्तांतरित की जाएगी।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी पणन महासंघ और नाफेड कार्यालय के संयुक्त तत्वावधान में खरीफ हंगाम 2025-26 के तहत केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग, उड़द और सोयाबीन की खरीदी योजना लागू की जा रही है। किसानों का पंजीकरण 30 अक्तूबर से शुरू हो चुका है, जबकि खरीदी प्रक्रिया 15 नवंबर से आरंभ होगी। केंद्र सरकार ने मूंग रुपये 8,768, उड़द रुपये 7,800 और सोयाबीन रुपये 5,328 प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य तय किया है। जिले के लिए नाफेड को केंद्रीय नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।
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रबी सीजन में करड़ी को एक भरोसेमंद फसल के रूप में देखा जाता है, जिसके कारण इस वर्ष इसकी बुवाई के लिए किसानों में भारी उत्साह देखा जा रहा है। बीजों की बढ़ती मांग को देखते हुए किसानों ने कृषि सेवा केंद्रों पर भीड़ जमा कर दी है। हालांकि, सीमित मात्रा में उपलब्ध बीजों के कारण कई किसानों को निराश होकर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।
अचानक करड़ी बीज की मांग बढ़ जाने से विक्रेता भी हैरान हैं। किसानों का कहना है कि करड़ी तेल के दाम पिछले कुछ महीनों से अधिक बने हुए हैं और आने वाले दिनों में इन दरों में और बढ़ोतरी की संभावना है। यही कारण है कि इस बार बड़ी संख्या में किसान करड़ी की बुवाई करने के लिए उत्सुक हैं।






