
उद्धव ठाकरे-अजित पवार-देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra News: महायुति सरकार अभी बीजेपी के केंद्रीय राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल के कथित जमीन घोटाले के बवाल से उबर भी नहीं पाई थी कि अब डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार के महा भूमि घोटाले से सियासी हड़कंप मच गया है। पार्थ पर आरोप है कि उन्होंने 40 एकड़ की सरकारी महार वतन की जमीन जिसका बाजार मूल्य 1800 करोड़ रुपये है, उसे मात्र 300 करोड़ रुपये में खरीदा है। हैरानी की बात यह कि इस जमीन की खरीदी पर 21 करोड़ की स्टांप ड्यूटी माफ कर सिर्फ 500 रुपये भरे गए। अब इस खुलासे से डीसीएम अजित पवार पूरी तरह से बैकफुट पर आ गए हैं।
मुझे अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। गुरुवार की सुबह सोशल एक्टिविस्ट अंजलि दमानिया का फोन आया था। उन्होंने बताया कि वे मंगलवार को मेरे पास पूरा मामला दर्ज कराएंगी। अभी महार वतन की जमीन पर फैसला आना बाकी है क्योंकि उसके लिए एक विशेष कानून है। हमें यह जांच करनी होगी कि लेन-देन इसी जमीन कानून के तहत हुआ है या नहीं। अगर कोई अनियमितता हुई है तो कार्रवाई की जाएगी।
एक-एक कर सरकार के सारे घोटाले सामने आ रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री अपने नेताओं को क्लीन चिट दे देते हैं। पहले शिंदे का मामला सामने आया था। अब अजित पवार के बेटे का मामला सामने आया है लेकिन इस मामले में भी कुछ भी नहीं होगा, केंद्रीय मंत्री अमित शाह इन सभी नेताओं का इस्तेमाल करेंगे और 2029 में इन्हें फेंक देंगे।
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अजित ने इस लैंड डील से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बिल्कुल इसकी जांच करवा सकते हैं। मुझे इस बारे में डरने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि मीडिया से बातचीत के दौरान अजित के चेहरे पर तनाव साफ देखा जा सकता था।
अजित के बेटे पार्थ पवार ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने कोई गलत काम या घोटाला नहीं किया है। उन्होंने इससे ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया।
उधर, पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने पार्थ पवार से जुड़ी कंपनी से संबंधित विवादास्पद जमीन सौदे में गुरुवार देर शाम 3 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगणे की शिकायत पर पिंपरी-चिंचवड़ के बावधन पुलिस थाने में दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और रवींद्र तारू के खिलाफ सरकारी खजाने को 6 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई। शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने कथित तौर पर यह जानते हुए भी कि यह जमीन सरकार की है, जमीन का विक्रय विलेख निष्पादित करने के लिए मिलीभगत की।
एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया होल्डिंग्स एलएलपी ने मुंढवा इलाके में सरकारी जमीन बेहद कम दाम में खरीदी है। 40 एकड़ की इस जमीन का मूत्य करीब 1,804 करोड़ है, लेकिन इसे मात्र 300 करोड़ में खरीदा गया। इस सौदे के सिर्फ दो दिन बाद ही 21 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी गई।
इस जमीन घोटाले के 66 खुलासे के बाद सीएम फडणवीस को भ्रष्ट उपमुख्यमंत्री अजित पवार को तुरंत कैबिनेट से बखर्खास्त करने का साहस दिखाना चाहिए, अजित के बेटे पार्थ पवार की अमेडिया नाम की कंपनी है और इस कंपनी ने कोरेगांव पार्क इलाके की यह जमीन बेहद कम कीमत पर हासिल की है।
अजित पवार परिवार के इस भूमि घोटाले के सामने आने के बाद सीएम फडणवीस ने इस संबंध में जांच के आदेश दे दिए है। उन्होंने नागपुर में मीडिया से बातचीत में बताया कि मैंने इस डील से सम्बंधित सारे दस्तावेज मंगवाए हैं। साथ ही इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए है।
फिलहाल इस मामले में तहसीलदार सूर्यकांत येवले और उपनिबंधक रविंद्र तारु को तात्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। जांच समिति यह पता लगाएगी कि आखिर किसके दबाव में स्टाम्प ड्यूटी माफी का आदेश दिया गया नीम ने किया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद। इस मामले में जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा।
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16 जिन अधिकारियों ने इस घोटाले में सहयोग किया उनके खिलाफ धारा 420 ( (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए, अजित के बेटे पार्थ की अमेडिया कंपनी को इतनी बड़ी जमीन आईटी पार्क और डेटा सेंटर के नाम पर कैसे मिल गई। यह हैरान करने वाला है। सिर्फ कुछ घंटों में ही उद्योग निदेशालय ने 21 करोड़ रुपये की स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी। यह सब कुछ संयोग नहीं हो सकता है। यह सिर्फ एक जमीन का मामला नहीं, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग का बड़ा उदाहरण है। इस सौदे को तत्काल रद्द करके निश्पक्ष जांच करानी चाहिए।
यूबीटी के सीनियर नेता अंबादास दानवे ने इस पूरी लैंड डील पर तंज कसते हुए कहा कि यही अजित का प्रगतिशील महाराष्ट्र है जहां कुले, शाहू, आबेडकर का नाम लेकर महार वतन की जमीन हड़प ली जा रही है।
राज्य में निकाय चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद महायुति सरकार के धुरंधर नेताओं में से एक अजित पवार पर इतना बड़ा आरोप लगने के बाद पूरी सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठने लगे हैं। सबसे बड़ा सिरदर्द बीजेपी का हो गया है। स्वच्छ प्रशासन देने की घोषणा पर इस आरोप ने ग्रहण लगा दिया है।
इस सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का बड़ा मुद्दा विपक्ष के हाथ लग गया है, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भले ही तत्परता दिखाते हुए स्थिति को हाथ से जाने नहीं दिया लेकिन भविष्य में अजित पवार पर एक्शन लेने का बड़ा दाच उन पर निश्चित रूप से आ गया है। एकनाथ खड़से-अनिल देशमुख पर आरोप लगने के बाद जिस तरह उन्हें मंत्री पद से हटाया गया उसी तरह अजित के बारे में फैसला करना पड़ेगा।






