गोंदिया. अब मशीनीकरण होने से पशुओं का स्थान मशीनों ने ले लिया है. जिला परिषद का पशुपालन विभाग यह समझाने का काम कर रहा है कि पशुधन कितना जरूरी है. जो किसान पिछले साल तक पशु चिकित्सालयों पर मुंह फेरते थे, वे अब एक साल के भीतर यहां की सेवाओं से खुश हैं. जिले के 15 श्रेणी 1 के पशु चिकित्सालयों को किसानों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के फलस्वरूप ‘आईएसओ’ प्रमाणपत्र दिया गया है.
जिन चिकित्सालयों को आईएसओ किया गया है, उनमें पांढराबोडी, कारंजा, कामठा, देवरी, आसोली, दासगांव, साखरीटोला, गोर्रे, विचारपुर, पुराडा, कडीकसा, कुरहाड़ी, चोपा, चिरचाडबांध व घाटटेमनी का समावेश है. गोंदिया जिले में 42 श्रेणी 1 पशु चिकित्सालय और 30 श्रेणी 2 पशु चिकित्सालय हैं. इनमें से 15 अस्पताल ‘आईएसओ’ बन गए हैं. जबकि 27 श्रेणी 1 और 30 श्रेणी 2 के अस्पताल वैसे ही पड़े हुए हैं.
जिले की 80 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है. जो लोग कृषि पर निर्भर हैं वे कृषि के पूरक के रूप में पशुपालन करते हैं. उन पशुओं के संरक्षण के लिए जिला परिषद की व्यवस्था के माध्यम से किसानों की मदद की जाती है. लेकिन किसानों को मदद नहीं मिलने के कारण किसानों के पशु पेचिश और घटसर्प जैसी विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं.
इसलिए पशुओं की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है. साथ ही जानवरों की संख्या कम हो रही है क्योंकि जानवरों को बहुत कम दाम में कत्ल के लिए बेचा जा रहा है. इन्हीं सब पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए किसानों के पशुओं के संरक्षण के लिए जिले के 72 स्थानों पर खोले गए चिकित्सालय अभी भी पशुओं को पूरी तरह से सेवाएं देने में विफल हो रहे हैं.
एक साल के लिए जिला पशुपालन पदाधिकारी के पद पर जिला परिषद से जुड़ने वाले डा. कांतिलाल पटले ने जिले में पशु चिकित्सालयों की दशा सुधारने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने सभी डाक्टरों का मार्गदर्शन किया और इस बात पर जोर दिया कि वे अपने चिकित्सालय को कैसे बेहतर बना सकते हैं. इसके परिणामस्वरूप जिले के 15 पशु चिकित्सालयों को ‘आईएसओ’ से प्रमाणित किया जा चुका है.