
परिणय फुके (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Parinay Fuke: नाग नदी का प्रदूषित गंदा पानी (सांड पानी) गोसीखुर्द में जाने से पूरा डेम प्रदूषित हो रहा है। यह नदी नाला बन गया है। इसके पानी को शुद्ध करने के लिए मनपा प्रशासन द्वारा 13 एसटीपी लगाए गए हैं लेकिन हकीकत यह है कि इसमें से 11 बंद हैं। प्रदूषित पानी कन्हान नदी व वैनगंगा से होते हुए गोसीखुर्द में जा रहा है। जिससे डेम में मच्छीमारों का व्यवसाय उध्वस्त हो रहा है।
प्रदूषित पानी भंडारा, नागपुर व चंद्रपुर के खेतों को नुकसान पहुंच रहा है। नागरिकों के स्वास्थ पर विपरीत परिणाम हो रहा है लेकिन कोई ठोस उपाययोजना नहीं की जा रही है। उक्त मुद्दा विप सदस्य परिणय फुके ने विधान परिषद में ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया है। उन्होंने कहा कि नाग नदी प्रोजेक्ट के लिए 1900 करोड़ रुपये मंजूर होने के बावजूद अमल में भारी लेतलतीफी हो रही है।
गोसीखुर्द का पानी शुद्ध करने के लिए तत्काल उपाययोजना करने की मांग उन्होंने सरकार के समक्ष रखी। पर्यावरण मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि प्रदूषण की समस्या वर्षों से दुर्लक्ष होने के कारण है। राज्य, केन्द्र सरकार व स्थानीय प्रशासन उपायोजना कर रहा है। बंद एसटीपी की वस्तुस्थिति की जांच के लिए 3 सदस्यीय समिति गठित कर रिपोर्ट सादर की जाएगी और ठोस उपाययोजना का प्रयास तेज किया जाएगा।
फुके के साथ प्रसाद लाड ने भी उक्त मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कोराडी के फ्लाईएश वाले तालाब का पानी भी नदी में जाता है। जांच करेंगे को उजागर होगा कि कोई ऐसी फैक्टरी नहीं है जो नदी में जहरीला पानी नहीं छोड़ रही है। मौदा एनटीपीसी भी वैनगंगा का पानी उपयोग कर रहा है। फुके ने कहा कि मनपा आयुक्त की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। कड़ा एक्शन जरूरी है।
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कोई भी नोटिस ये कचरे की टोकरी में डाल देते हैं। उन्होंने सवाल किया कि प्रदूषित पानी की कोई साइंटिफिक जांच हुई, कितने गांवों में दूषित पानी जा रहा है इसकी कोई रिपोर्ट है क्या। उन्होंने कहा कि गोसीखुर्द का पानी दूषित हो रहा है और नलगंगा-वैनगंगा नदी जोड़ प्रकल्प के माध्यम से यही पानी पश्चिम विदर्भ में जाएगा। उन्होंने एमआईडीसी के लिए सांडपानी व्यवस्थापन को अनिवार्य करने की मांग की।
मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि नागनदी प्रकल्प के लिए खुद मुख्यमंत्री फडणवीस और केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी आग्रही हैं। 1926 करोड़ रुपये मंजूर हुए है। 221 किमी सीवर लाइन का टेंडर हो गया है। वर्कआर्डर हो रहे हैं। एसटीपी के साथ ही शवदाहिनी उपलब्ध किये गए हैं। इसमें समय लगेगा। जायका के नियमानुसार कार्य करना होता है, इसम पर मैं व्यक्तिगत रूप से ध्यान दूंगी। उन्होंने सभी संबंधित विभागों के बीच समन्यव की जरूरत भी बताई। साथ ही कहा कि प्रक्रिया किये बिना नदी में पानी छोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।






