सार्वजनिक बतुकम्मा उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pandharkavda News: केलापुर तहसील में स्थित पांढरकवड़ा शहर, तेलंगाना राज्य की सीमा के पास होने के कारण यहां तेलंगाना के कई त्योहार और उत्सव लंबे समय से मनाए जाते रहे हैं। महाराष्ट्र और तेलंगाना दोनों राज्यों की पारंपरिक संस्कृति विभिन्न त्योहारों के माध्यम से दिखाई देती है। इसी परंपरा में सीमावर्ती क्षेत्रों में बतुकम्मा उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। बतुकम्मा उत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की भावना के साथ, विदर्भ बेलदार, मुन्नुरकापू, तेलंगा, तेलंगी समाज संगठन की पांढरकवड़ा शाखा ने तीन साल पहले महिलाओं के लिए इस उत्सव के आयोजन हेतु बड़ा मंच तैयार करने की पहल की थी। यह जानकारी संवाददाता से वद्देवार ने दी।
इस वर्ष यह सार्वजनिक बतुकम्मा उत्सव का तीसरा वर्ष था। बेलदार, मुन्नुरकापु, तेलंगा और तेलंगी समाज का सांस्कृतिक और पारंपरिक बतुकम्मा उत्सव पांढरकवड़ा शहर में बड़े उत्साह और पारंपरिक माहौल में मनाया गया। इस अवसर पर शहर के विधायक राजूभाऊ तोड़साम भी सपत्निक उपस्थित थे।उत्सव के अवसर पर शहर की बड़ी संख्या में माताएं और बहनें शामिल हुईं। प्राकृतिक फूलों से बने रंग-बिरंगे बतकम्माओं ने पूरे क्षेत्र को सुगंधित कर दिया। महिलाएं बतुकम्मा के चारों ओर गोलाकार आकृति में पारंपरिक नृत्य करती हुईं, गौरी देवी से प्रार्थना करतीं कि वे शहर को धन-धान्य और समृद्धि प्रदान करें।
यह उत्सव 11 अक्तूबर को मनाया गया। शिक्षक कॉलोनी से सैकड़ों महिलाएं पारंपरिक गीतों पर संगीत बजाते और नाचते हुए बतकम्माओं के साथ नदी की ओर बढ़ीं। भक्ति भाव से बतुकम्मा विसर्जित करने के बाद महिलाएं लौट आईं।आयोजकों ने दानदाताओं, विशेष दानदाताओं, समय पर जल, दूध और फल उपलब्ध कराने वाले नीरज मोबाइल शॉप के नीरज देशट्टीवार, खेतानी फाउंडेशन, समाजजन, विसर्जन स्थल पर प्रकाश व्यवस्था करने वाले न.प. पांढरकवड़ा, यातायात विभाग, पांढरकवड़ा पुलिस स्टेशन और कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।
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इस उत्सव को सफल बनाने के लिए संगठन की महिला जिला अध्यक्ष दीपाली पदलमवार, तहसील अध्यक्ष अडपावार दीदी, शहर अध्यक्ष जयश्री बंतपेल्लीवार, रामेश्वरी वल्लमवार, ललिता गडपेल्लीवार, वंदना वद्येवार, शुभांगी गांगुलवार, राधिका देशट्टीवार, छायादेवी मुत्यालवार, रजुना अनमुलवार, लावण्या पार्लावार, कल्याणी नेल्लावर, सपना मदीकुंटावर, काजल संकुरवार, अनीता कोटेवार, जयश्री चिट्टलवार, अर्चना पडलवार और सैकड़ों अन्य महिलाओं ने अथक परिश्रम किया।