
राज्य में ‘तीन तिघाड़ा, काम बिघाड़ा’ के हालात (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Maharashtra Politics News: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राज्य में सत्ताधारी ‘त्रिशंकु’ सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर कई मुद्दों ने तूल पकड़ा है। इसी बीच वणी-आर्णी-चंद्रपुर संसदीय क्षेत्र की सांसद प्रतिभा धानोरकर ने सरकार पर सीधा और तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “तीन तिघाड़ा, काम बिघाड़ा” यानी तीन दलों का मेल राज्य के विकास में बाधक बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की जनता से किए गए वादे एक वर्ष में ही धूल खा रहे हैं।
विकास कार्य ठप पड़े हैं, किसानों की समस्याएँ जस की तस हैं और महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। सांसद धानोरकर ने कहा कि सरकार केवल “कुर्सी बचाओ अभियान” में लगी है, जबकि जनता के मुद्दों को देखने वाला कोई नहीं है। उन्होंने धार्मिक, सामाजिक और महिला सुरक्षा से जुड़े सवालों पर सरकार की चुप्पी पर भी नाराज़गी व्यक्त की।
उनका कहना था कि महिला अत्याचार के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन सरकार मौन है। उन्होंने इसे “प्रशासनिक बिगाड़” बताते हुए कहा कि प्रशासनिक तंत्र पर सरकार का नियंत्रण ढीला पड़ गया है। कानून-व्यवस्था कमजोर होती जा रही है और कई जिलों में नागरिक बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। सांसद ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के बीच तालमेल न होने के कारण निर्णय लेने में देर होती है, जिसका सीधा नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा है।
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उन्होंने आरोप लगाया कि शासन की अस्थिरता के कारण उद्योगों का निवेश रुक गया है, जिससे युवाओं में बेरोजगारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। सांसद धानोरकर ने चेतावनी दी कि सरकार को प्रतीकात्मक घोषणाओं के बजाय जमीनी बदलाव दिखाना होगा, अन्यथा जनता अगले चुनाव में करारा जवाब देगी। उनके इस बयान के बाद राज्य की राजनीति में गर्मी बढ़ना तय माना जा रहा है, और आने वाले विधानसभा सत्र में इसका असर साफ दिख सकता है।






