लीज पर ली गई खदानें निष्क्रिय
Wardha News: झरी-जामनी तालुके में खनिज उत्खनन के नाम पर शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। मुकुटबन, अडेगांव, गणेशपुर, हिवरदरा, तेजापुर, चिलई, टुंडरा, वेलाबाई, मोहदा, कोडपाखिंडी, टेंभी मांडवी, खरबड़ा, भिरसाई पेठ, पिंपरड, कोसारा, रुईकोट, घोंसा, रासा और फुलोरा सहित कई स्थानों पर लीज पर ली गई खदानें वर्षों से निष्क्रिय पड़ी हैं।
उत्खनन शून्य होने के बावजूद इन लीजों को जारी रखा गया है, जिससे शासन को भारी आर्थिक हानि पहुंच रही है। झरी-जामनी तालुका परिसर में पत्थर, मुरुम, कोयला, डोलोमाइट और चूना पत्थर की खदानें लीज पर दी गई हैं, परंतु कई स्थानों पर वास्तविक उत्खनन न होने के बावजूद नवीनीकरण के प्रस्ताव भेजे गए हैं स्थानीय ग्राम पंचायतों को उनका राजस्व हिस्सा नहीं मिला है, वहीं शासन को रॉयल्टी की आय भी प्राप्त नहीं हुई। इसका सीधा असर ग्रामीण विकास निधि पर पड़ रहा है और स्थानीय रोजगार के अवसर भी खत्म हो गए हैं।
स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि इन निष्क्रिय लीज धारकों को कुछ खनिज अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। शिकायतें होने के बावजूद जांच शुरू नहीं की गई है। आरोप है कि कुछ अधिकारियों ने कागजों पर उत्खनन दर्शाकर लीज की अवधि बढ़ा दी और शासन को गुमराह किया। इन सभी निष्क्रिय लीजों की जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग उठाई जा रही है। हालांकि, खनिज विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए हैं और “सब कुछ नियमों के अनुसार” होने की सफाई दे रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में जिलाधिकारी एवं जिला खनिज अधिकारी से हस्तक्षेप कर पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया शुरू करने की मांग की जा रही है।
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खनिज संपदा जनता की धरोहर है, लेकिन अब यह कुछ प्रभावशाली लोगों के हाथों में सिमटती जा रही है। लीज लेकर वर्षों तक खदानें बंद रखने वाले ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है।
शासन यदि केवल कागजों पर नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर जांच करे, तो कई गड़बड़ियों के तार सामने आ सकते हैं। जनता के धन और प्राकृतिक संसाधनों की ऐसी लूट रोकनी है तो खनिज विभाग को मौन त्यागकर ठोस कदम उठाने होंगे।