यवतमाल न्यूज
Municipal Council Power Struggle: लंबे इंतजार के बाद संपन्न हुई नगर परिषद चुनावों में नगराध्यक्ष कौन होगा, इसका फैसला जनता ने सीधे मतदान के माध्यम से कर दिया है। लेकिन कई जगहों पर स्थिति यह बनी है कि नगराध्यक्ष एक पार्टी का है और बहुमत दूसरे दल के नगरसेवकों के पास है।
ऐसे में अब उपाध्यक्ष और विभिन्न समितियों के सभापति पदों को असाधारण महत्व प्राप्त हो गया है और इन पदों के लिए जोड़-तोड़ व फील्डिंग शुरू हो गई है। जिले की यवतमाल, आर्णी, नेर, दारव्हा, दिग्रस, उमरखेड, पुसद, घाटंजी, पांढरकवड़ा, वणी और ढाणकी नगर परिषदों की मतगणना 21 दिसंबर को हुई।
इनमें यवतमाल, दारव्हा, वणी और उमरखेड नगर परिषदों में विजयी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है। जबकि शेष नगर परिषदों में कहीं नगराध्यक्ष एक दल का है और बहुमत दूसरे दल का, तो कहीं मिश्रित स्थिति बनी हुई है। ऐसे में कुछ नगर परिषदों में सत्ता संघर्ष की संभावना जताई जा रही है।
नगर परिषदों में अब उपनगराध्यक्ष पद के लिए अलग-अलग नामों की चर्चा शुरू हो गई है। वहीं कुछ जनप्रतिनिधि किसी न किसी समिति का सभापति पद पाने के लिए विधायकों के माध्यम से बातचीत कर रहे हैं। खास बात यह है कि जब नगराध्यक्ष किसी दूसरे दल का हो और समिति अपने पक्ष में खींचनी हो, तब विधायकों को भी ‘नरमी’ अपनानी पड़ रही है।
यवतमाल नगर परिषद में नगराध्यक्ष पद पर भाजपा विजयी हुई है और 28 नगरसेवक भी जीतकर आए हैं। ऐसे में यहां भाजपा के ही नगरसेवक उपाध्यक्ष व सभापति बनने की तैयारी में हैं। हालांकि शिवसेना भी अपने 7 सदस्यों के बल पर भाजपा के साथ बैठकर कुछ पद हासिल करने की कोशिश कर रही है।
उमरखेड में भाजपा का पूरी तरह सफाया हो गया है। वहां नगराध्यक्ष पद के साथ-साथ अन्य पद भी कांग्रेस, उबाठा और मराठवाड़ा–विदर्भ विकास आघाड़ी के जनशक्ति पैनल के पास जाने की संभावना है, लेकिन उनके बीच भी अब रस्साकशी दिखाई दे रही है। वणी में भाजपा को किसी बाहरी चुनौती का सामना नहीं है, लेकिन पार्टी के भीतर ही कई दावेदार सामने आए हैं।
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दारव्हा में शिवसेना और पुसद में राष्ट्रवादी कांग्रेस की एकल सत्ता बनी है। वहीं आर्णी, घाटंजी, ढाणकी और पांढरकवड़ा नगर परिषदों में भारी रस्साकशी और जोड़-तोड़ का खेल देखने को मिलेगा, क्योंकि यहां अध्यक्ष एक दल का और नगरसेवक दूसरे दल के हैं।
नगर परिषद चुनावों के नतीजे घोषित होने के बाद नियमानुसार प्रशासन को विशेष बैठक बुलाकर नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों को शपथ दिलानी होती है। इसके बाद ही उनका कार्यकाल आधिकारिक रूप से शुरू होता है। लेकिन जिले की 11 में से किसी भी नगर परिषद की अब तक पहली बैठक नहीं हो सकी है।
यह बैठक कब आयोजित की जाए, इस संबंध में जिला प्रशासन ने चुनाव आयोग से मार्गदर्शन मांगा है। उसके बाद संबंधित आदेश जारी किए जाएंगे। इसी बैठक में विभिन्न समितियों का गठन कर उनके सभापतियों का चुनाव किया जाएगा।