कावड़ शोभायात्रा ने श्रद्धालूओं का खिंचा ध्यान (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatmal Kanwar Yatra News: श्रावण सोमवार, 4 अगस्त 2025 को यवतमाल में भव्य कावड़ यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा की पूर्वसंध्या पर, रविवार 3 अगस्त को शाम 7 से रात 10 बजे तक आजाद मैदान के पास स्थित केदारेश्वर मंदिर में महाप्रसाद का वितरण किया गया। इसके बाद कावड़ यात्री कोटेश्वर के लिए रवाना हुए।
सोमवार, 4 अगस्त को सुबह 6 बजे उत्तरवाहिनी गंगा नदी के किनारे स्थित कोटेश्वर से कावड़िए जल भरकर लगभग 40 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए यवतमाल पहुंचे। यवतमाल के सिद्धेश्वर मंदिर से ढोल-ताशों के साथ कावड़ शोभायात्रा निकाली गई। इसमें हजारों की संख्या में कावड़िए अपने कंधों पर कावड़ लेकर ‘बम बम भोले’, ‘हर हर महादेव’ के जयघोष करते हुए शामिल हुए। शहर के विभिन्न चौकों पर कावड़ियों का स्वागत किया गया।
यह शोभायात्रा केदारेश्वर महादेव मंदिर पहुंची, जहां भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक किया गया। यह कावड़ यात्रा वर्ष 2007 से निरंतर आयोजित की जा रही है और पिछले 18 वर्षों से श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। इस यात्रा में यवतमाल के अलावा अकोला बाजार, घाटंजी, जोडमोहा, भारी, मोहा और पिंपलगांव क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु, युवक और महिलाएं शामिल हुईं।
शोभायात्रा में शहर के गणेश मंडलों और दुर्गा देवी मंडलों की ओर से आकर्षक झांकियां प्रस्तुत की गईं। कावड़ यात्रा सेवा समिति और केदारेश्वर मंदिर समिति, यवतमाल की ओर से सभी श्रद्धालुओं से भगवा वस्त्र धारण कर यात्रा में शामिल होने की अपील की गई थी, जिसे लोगों ने भरपूर समर्थन दिया। इस दौरान शहर के प्रमुख चौकों पर पुलिस बंदोबस्त भी तैनात था।
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पवित्र श्रावण माह के दो सप्ताह पूरे हो चुके हैं। यह महीना शिवभक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा व आस्थे से भरा होता है। विशेषतः श्रावण के सोमवार को भगवान महादेव की पूजा-अर्चना और जल अर्पण का विशेष महत्व होता है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी श्रावण के दूसरे सोमवार को यवतमाल से कोटेश्वर स्थित शिव मंदिर तक हजारों श्रद्धालु युवाओं द्वारा कावड़ यात्रा निकाली गई।
शिवभक्तों ने ‘हर हर महादेव’ के गजर के साथ कोटेश्वर से पवित्र जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए कलंब के श्री चिंतामणि मंदिर में दर्शन किए। यह कावड़ यात्रा यवतमाल मार्ग से होती हुई यवतमाल स्थित महादेव मंदिर पहुंची, जहां कोटेश्वर से लाया गया पवित्र जल भगवान महादेव के जलाभिषेक के लिए अर्पित किया गया। यह पूरी कावड़ यात्रा कोटेश्वर से यवतमाल तक लगभग 44 किलोमीटर की पैदल यात्रा होती है, जिसमें श्रद्धालु बड़े ही उत्साह और भक्ति के साथ भाग लेते हैं।