मुकूटबन. झरी जामणी इस आदिवासीबहूल तहसील के अहेरअल्ली इस गांव के किसान लगभग 21 वर्ष से बांध के जल से वंचित रहे है. सतपल्ली से एक किलोमिटर दूरी पर उमरी (पोड) बांध से इन किसानों को जल तो मिला नही लेकिन किसानों की जमीन भी कुछ काम की नही रही है. अहेरअल्ली के किसानों ने जमीन पूर्वत कारने की मांग की है.
‘सरकारी काम ओर एक साल रूक यह कहावत है. लेकिन एक दो नही लगभग 21 वर्ष पहले लघु सिचाई विभाग पांढरकवडा ने सतपल्ली समीप उमरी में बांध का निर्माण किया है. दाय ओर बाए ऐसे दो नहर भी तैयार की है. उसके लिए किसानों के खेतो में खोदकाम कीया गया. उसके लिए बडे पैमाने पर सरकार ने जमीन अधिग्रहण की. लेकिन 21 वर्ष के बाद भी आज तक इस बांध की एक बुंद भी अहेरअल्ली के किसानों को नही मिला. नहर लेकिन खोदकर रखी. जिस वजह से किसानों को पिछले 21 वर्ष से फसल लेना असंभव हुआ है. जिसके चलते किसानों को पिछले 21 वर्ष से अर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड रहा है.
हम खुद नहर में गई जमीन पहले जैसे करने के लिए लाखों रूपये का खर्च आता है वैसे अर्थिक परिस्थिती हमारी नही है. पिछले 21 वर्ष से इस बांध का पानी नही मिला है ओर अब मिलने की संभावना भी नही है. जिस वजह से सरकार से विनंती है कि, जल ना दे लेकिन हमारी जमीन पहली जैसे करके दिया जाए. बांध लिकेज होने कारन यह पानी ढूढने से भी नही मिलेगा. जिस वजह से बांध में नही तो खेत में कैसे आयेगा ऐसा सवाल किसान वैभव राऊत, रिवास भोयर, रोहित राऊत ने किया.
बांध में पानी नही है लेकिन जमीन गई है. बांध में मछली का उत्पादन करने का नियोजन किया था. मछली मार संस्था भी तैयार की. लेकिन बांध में पानी थमने का नाम नही लेता है जिस वजह से उनका भी बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है. इस बांध के लिए जमिन अधिग्रहण करते समय यहा के परिवार सुखी होने वचन सरकार ने दिया था लेकिन अब तक कुछ नही हुआ है. आज इस बांध पर एक भी कर्मचारी नही है.
हितेश राऊत, किसान