मोटी तनख्वाह फिर भी डेढ़ रुपए की चाह (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Yavatamal News: ‘बहती गंगा में हाथ धोना’ मुहावरे का फायदा उठाकर सरकारी नौकरी में कुछ महिलाएं लाडली बहन’ योजना का लाभ उठा रही हैं। एक साल बाद सरकार ने इन बहनों को लाड़-प्यार देना बंद करने का फैसला किया है। इसके लिए ऐसी फर्जी बहनों की सूची यवतमाल ज़िला परिषद को भेजी गई है। अब खुलासा हुआ है कि ज़िला परिषद की दो कर्मचारियों ने मोटी तनख्वाह होने के बावजूद इस योजना से डेढ़ हज़ार रुपये का लाभ उठाया है।
विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले महायुति ने लाडली बहन योजना शुरू की थी। इसमें हर गांव की आर्थिक रूप से कमज़ोर महिलाओं से आवेदन भरवाए गए और उन्हें हर महीने उनके बैंक खातों में डेढ़ हज़ार रुपये का लाभ मिलने लगा। हालांकि इसी हड़बड़ी में कई आर्थिक रूप से सक्षम महिलाओं ने भी आवेदन भरवाए। पिछले साल से उन्हें हर महीने डेढ़ हज़ार रुपये का लाभ मिल रहा है।
हालांकि, अब सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी का सत्यापन शुरू कर दिया है। पता चला है कि ज़िला परिषदों में कार्यरत 1,183 महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाया है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने यह सूची ग्रामीण विकास विभाग को सौंप दी है और ग्रामीण विकास विभाग ने भी यह सूची यवतमाल ज़िला परिषद को भेज दी है। यह स्पष्ट किया गया है कि यवतमाल की दो महिला कर्मचारियों ने लाडली बहन योजना का लाभ उठाया है।
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सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद लाडली बहन योजना का लाभ लेने वाली महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पिछले 12 महीनों में निकाले गए लाभों की भी वसूली की जाएगी। इस बीच, संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि ज़िला परिषद के अलावा अन्य कार्यालयों में भी ऐसा ही हुआ होगा।
लाडली बहन योजना शुरू होते ही सभी तहसील स्तरों पर समन्वयक नियुक्त किए गए। इन समन्वयकों को महिलाओं से आवेदन भरने, प्राप्त आवेदनों का सत्यापन करने और केवल योग्य महिलाओं की सिफारिश करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। हालांकि, केवल राजनीतिक कार्यकर्ताओं को ही समन्वयक नियुक्त किया गया। उल्लेखनीय है कि महिलाओं के लिए एक योजना होने के बावजूद, ज़िले के सभी सोलह तहसील में समन्वयक पुरुषों को नियुक्त किए गए।