
भाजपा के तराले ने चुनाव में मारी थी बाजी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: वर्तमान में वर्धा नगराध्यक्ष पद के आगामी चुनाव को लेकर चर्चा जोरों पर है। व्यक्तिगत बातचीत, सोशल मीडिया और प्रचार-प्रसार के बीच 2016 के नगराध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं। 2016 में हुए इस चुनाव में कुल 14 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन इस बार चुनावी मैदान में आठ उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। 2016 के नगराध्यक्ष पद के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार अतुल तराले ने बाजी मारी थी।
इस चुनाव में अन्य राजनीतिक दलों को पीछे छोड़ते हुए निर्दलीय उम्मीदवार सुधीर पांगूल ने दूसरे स्थान पर कब्जा किया था। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रवीण हिवरे, एनसीपी के पूर्व नगराध्यक्ष चंद्रशेखर खडसे, बसपा के डॉ। गणेश जवादे, शिवसेना के राजेश सराफ, आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रविंद्र साहू ने भी चुनाव लड़ा था। इसके अलावा, पालिका के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेश ठाकरे, पूर्व नगराध्यक्ष निरज उर्फ नरेंद्र गुजर, आशिष उर्फ आशू पुरोहित, तुषार देवढे, मोहन चौधरी, अशोक मेश्राम और सुरेश रंगारी जैसे उम्मीदवार अपक्ष के तौर पर मैदान में थे।
बीजेपी के उम्मीदवार तराले के प्रचार के लिए तत्कालीन CM फडणवीस ने रामनगर मैदान पर एक सभा की थी। इसके अलावा हिमालय विश्व परिसर में व्यापारियों, उद्योगपतियों और विभिन्न क्षेत्रों के मान्यवरों के साथ विशेष बैठकें आयोजित की गई थीं। तत्कालीन विधायक डॉ। पंकज भोयर को मुख्यमंत्री द्वारा चुनावी प्रचार में पूरी ताकत लगाने के निर्देश दिए गए थे। जाति आधारित मुद्दों को भी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के सामने उठाया गया था।
अगर हम समविचारी दलों की बात करें, तो बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना ने राजेश सराफ को अपना उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें 2191 वोट मिले थे। वहीं, शिवसेना के पूर्व जिलाप्रमुख रविकांत बालपांडे ने आशू पुरोहित को अपक्ष उम्मीदवार के रूप में उतारा था, जिन्हें लगभग 2000 वोट मिले थे। इन दोनों उम्मीदवारों के कारण हुए मत विभाजन का बीजेपी को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। दूसरी ओर, सुधीर पांगूल को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 11,393 वोट प्राप्त किए। कांग्रेस के प्रवीण हिवरे को करीब 5,793 वोट मिले, जबकि एनसीपी के चंद्रशेखर खडसे को लगभग 4,787 वोट मिले। बसपा के उम्मीदवार डॉ. जवादे को 3,687 वोट मिले थे। इस मतविभाजन का सीधा फायदा बीजेपी के उम्मीदवार अतुल तराले को मिला और उन्होंने चुनाव में शानदार जीत हासिल की।
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इस बार की नगराध्यक्षपद की चुनावी जंग में केवल सुधीर पांगूल ही 2016 में लड़े हुए उम्मीदवारों में से एकमात्र व्यक्ति हैं, जो फिर से मैदान में है। वे इस बार कांग्रेस और एनसीपी के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में है। महाविकास आघाड़ी के अन्य प्रमुख घटक दल शिवसेना (उबाठा) ने प्रमोद भौमले को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। नगराध्यक्ष पद के चुनाव में होने वाले इस नए मुकाबले को लेकर शहरभर में चर्चा जोरों पर है और सभी की निगाहें इस चुनाव परिणाम पर टिकी है।






