जिला परिषद शिक्षकों के अंतरजिला तबादले अटके। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
वर्धा: शिक्षकों की जिला स्थानांतरण प्रक्रिया 24 अप्रैल से शुरू होने के बाद स्थानांतरण पात्र शिक्षकों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, कुछ शिक्षकों ने स्थानांतरण प्रक्रिया को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और स्थानांतरण प्रक्रिया पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी, तथा जब इंसी कंपनी के पोर्टल पर यह संदेश आया कि स्थानांतरण प्रक्रिया अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई है, तो शिक्षक काफी नाराज दिखे। इस मामले की सुनवाई अब 5 मई को होगी। अब शिक्षकों की नज़र अदालत के फैसले पर है।
दरअसल, ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जिला परिषद प्राथमिक शिक्षकों की अंतर जिला स्थानांतरण प्रक्रिया को ऑनलाइन एवं पारदर्शी तरीके से क्रियान्वित किया जाता है। बेशक, सभी शिक्षकों को 24 अप्रैल से पहले अपनी व्यक्तिगत शैक्षणिक और अन्य आवश्यक जानकारी ऑनलाइन भरने का आदेश दिया गया था। तदनुसार, शत-प्रतिशत शिक्षकों ने तकनीक-प्रेमी शिक्षकों की मदद से स्थानांतरण पोर्टल पर अद्यतन जानकारी भर दी थी। तो प्रत्येक जिले में कितनी सीटें रिक्त हैं? कितनी सीटें स्वीकृत हैं? वर्तमान में स्कूल में कितने शिक्षक कार्यरत हैं? यह तस्वीर स्पष्ट थी।
इससे पहले पोर्टल पर रिक्तियों की जानकारी भरने का काम गुरुवार से शुरू हो गया था। इसके लिए अंतिम तिथि 28 अप्रैल थी, लेकिन इसके बावजूद जिले के कुछ शिक्षकों ने स्थानांतरण प्रक्रिया को लेकर तुरंत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तदनुसार, यह ध्यान देने योग्य है कि न्यायालय ने तत्काल अंतर-जिला स्थानांतरण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है तथा स्थानांतरण नीति के अनुसार सोमवार, 5 मई को सुनवाई निर्धारित की है।
दरअसल, कोर्ट के इस सार्वजनिक आदेश के बाद ट्रांसफर प्रक्रिया के पोर्टल पर दिनभर एक जैसा संदेश प्रदर्शित होता रहा है। इसलिए, स्थानांतरण के लिए पात्र शिक्षकों और वरिष्ठ वर्ग में श्रेणी 1 के शिक्षकों, जिन्होंने 53 वर्ष की आयु में अभी-अभी पदार्पण किया है, उनके स्थानांतरण के संबंध में न्यायालय के दूरगामी निर्णय पर निगाहें टिकी हैं।
परिपत्र में उल्लेखित है कि शासन ने निर्णय लिया है कि पारस्परिक अंतर जिला स्थानांतरण प्रक्रिया से लाभान्वित होने वाले 2 अध्यापकों को जहां उस जिले में वरिष्ठता का लाभ मिलेगा, वहीं अंतर जिला स्थानांतरण में सेवा में कनिष्ठ अध्यापक की वरिष्ठता उन्हें दी जाएगी। अंतर जिला स्थानांतरित हुए कुछ शिक्षकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता शिक्षकों का कहना है कि जूनियर शिक्षकों की तरह स्थानांतरण के लिए सेवा वरिष्ठता पर विचार किया जाना चाहिए।
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सरकार ने अनुमोदन के अनुसार 15 मार्च को निर्णय लिया है। इस आदेश के परिणामस्वरूप प्रत्येक जिले से सैकड़ों शिक्षकों के पद कम हो जाएंगे। कुछ शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस फैसले को स्थायी रूप से पलटने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि जूनियर शिक्षकों की तरह ही स्थानांतरण के लिए सेवा वरिष्ठता पर भी विचार किया जाना चाहिए। इस मामले में सुनवाई 12 मई को होगी। तो फिर अदालती सुनवाई में वास्तव में क्या होता है? महाराष्ट्र भर के गुरु अदालत के फैसले पर कड़ी नजर रख रहे हैं।
(1) अंतरजिला स्थानांतरण प्रक्रिया में चार कैडर बनाए गए हैं। विशेष। इसका मतलब यह है कि विशेष श्रेणी भाग-1 के अंतर्गत गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षक, विधवा, परित्यक्ता महिलाएं, अविवाहित शिक्षक और 53 वर्ष से अधिक आयु के शिक्षकों को शामिल किया गया है।
(2) श्रेणी 2 में पति-पत्नी एकीकरण के तहत 30 किलोमीटर से बाहर काम करने वाले पति/पत्नियों को जीआर के अनुसार स्थानांतरण प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाती है।
(3) श्रेणी तीन में दुर्गम क्षेत्रों के विद्यालयों के शिक्षक शामिल हैं।
शेष स्थानांतरित शिक्षकों को कैडर 4 में शामिल किया गया है। लेकिन खेद है कि इन शिक्षकों को पर्याप्त सीटें नहीं मिल पा रही हैं।