आवास योजना के जर्जर मकान (सौजन्य-नवभारत)
Awas Yoajana: वर्धा जिले में नगर परिषद प्रशासन की ओर से आवास योजना के अंतर्गत इतवारा में मकान उपलब्ध किए गए। किंतु, निकृष्ट दर्जा होने से मकान क्षतिग्रस्त होकर कभी भी ढह सकते है। बारिश के इन दिनों में मकान में पानी टपकने से रहना मुश्किल हो रहा है। लोगों की जान को खतरा बना रहने से जल्द से जल्द प्रशासन ने ध्यान देकर उपाययोजना करनी चाहिए, ऐसी मांग की जा रही है।
इतवारा स्थित पुलिस चौकी के पिछे नगर परिषद का परिसर आता है। यहां झुग्गियों में नागरिक रहते थे। नगर परिषद के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना मंजूर होने के बाद कुछ वर्ष पूर्व मकान तैयार कर दिए गए़ एक मंजिला इमारत में करीब 50 से 60 आवास (क्वार्टर) है। लेकिन नागरिकों का आरोप है कि, निर्माणकार्य के दौरान सीमेंट व लोहे का प्रमाण अत्यधिक कम था।
निकृष्ट निर्माणकार्य की वजह से अल्प समय में इमारत में दरारें गिरी हैं। इन दिनों बारिश का मौसम शुरू है। ऐसे में लगभग सभी मकानों में पानी टपक रहा है। लोगों को रहना मुश्किल हो गया है। स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम होने से वृद्ध व बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है। संबंधित विभाग बारिश के पूर्व शहर की जर्जर इमारतों की जांच कर उन्हें उपाययोजना के संदर्भ में सूचना भी करता है।
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लेकिन इस ओर पूर्णत: अनदेखी है। कई परिवार इन जर्जर इमारत में रह रहे हैं। कुछ जगह तो सीढ़ियां ढह गई है। फिर भी वहां नागरिक रह रहे हैं। लोगों की जान को खतरा बना हुआ है। संबंधित प्रशासन ने उपाययोजना करने की मांग की जा रही है।
हमें आवास योजना के अंतर्गत निकृष्ट दर्जा के यह मकान दिए हैं। अल्प समय में क्षतिग्रस्त हो गए। हमारे पास दूसरी जगह रहने की सुविधा नहीं है। प्रतिदिन मजदूरी कर केवल दो समय का भोजन कर सके सिर्फ इतनी कमाई होने से स्वयं के खर्चे से इतनी बड़ी इमारत की मरम्मत करना संभव नहीं है। जिससे जैसे तैसे हम रह रहे हैं। नगर परिषद प्रशासन ने जल्द ध्यान देकर मरम्मत करनी चाहिए।