वर्धा जिले में नहीं थम रही आत्महत्याएं (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: वर्धा जिले में गत कुछ वर्षों से बढते आत्महत्या के मामले सभी के लिए चिंता का विषय बने हुए है़ जिस तरह की जीवनशैली हो चुकी हैं, तनाव प्रतिस्पर्धा समेत तमाम ऐसी कठिन परिस्थितियां हैं जिनका सामना करने की ताकत भी कम होने लगी है। विविध कारणो से लोग आत्महत्या जैसे ठोस कदम उठा रहे है़।
सरकार व प्रशासनिक स्तर पर विभिन्न उपाययोजना के बावजुद भी आत्महत्याओं का सिलसिला कम होने का नाम नहीं ले रहा है़न जिले में पिछले 30 दिनों में करिब 48 लोगों ने अपनी जीवनलिला खत्म करने की जानकारी है़। इसमें 12 महिलाओं का समावेश है़। वर्धा यह विदर्भ के 6 किसान आत्महत्याग्रस्त जिले में समाविष्ट है़।
किसान आत्महत्याओं पर रोक लगाने के लिए शासनस्तर पर जिले में विविध उपक्रम चलाये गए़ परंतु इसका कुछ खासा असर देखने नहीं मिला़। आज भी जिले में कर्ज की चिंता व अन्य कुछ कारणो से किसान मौत को गले लगा रहे है़।
किसानों के साथ साथ सुशिक्षीत बेरोजगार, व्यावसायी भी आत्महत्या कर रहे है़। पारिवारिक समस्या, गंभीर बिमारी से त्रस्त होकर भी महिला व पुरुष सुसाईड कर रहे है़। जिले में आत्महत्याओं पर रोक लगाने समुदेशन केंद्र चलाने से लेकर विभिन्न उपक्रम चलाये जा रहे है़। बावजुद इसके समस्या गंभीर बनते जा रही है़।
मानसोपचार तज्ञों के अनुसार युवा वर्ग की महत्वाकांक्षा अपनी योग्यता व क्षमता से अधिक हो चुकी है। परिवार पर नियंत्रण नहीं है और न ही सामंजस्य रह गया है। तनाव सहने की क्षमता नहीं है। असफलता का डर और पारिवारिक समस्याएं व्यक्ति को पूरी तरह प्रभावित कर रही है, जिसकी वजह आत्महत्याएं हो रही हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 36 प्रतिशत लोग उदासी व निराशा से ग्रस्त है। उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने पर जोर देना जरुरी है़। किशोरों में पढ़ाई के दबाव से आत्महत्या के मामले बढ़ गए हैं। इस पर भी अभिभावक व समाज को नए सिरे विचार करना होगा। बच्चों को शुरुआत से ही उसकी पसंद के करियर के साथ जीवन में संघर्ष को झेलने के लिए प्रेरित करना होगा़।
किसान, सुशिक्षीत बेरोजगारो को आत्महत्या से रोकने के लिए सरकार व प्रशासन स्तर पर काम चल रहा है। प्रशासन इस मामले में गंभीर बताया गया़। किसानों को समय पर कर्ज उपलब्ध कराना, उन्हें राहत देने के साथ ही उचित समुपदेशन का काम हो रहा है।
बेरोजगारों को छोटे-बडे उद्योगों के लिए डीआईसी के माध्यम से कर्ज उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्हें प्रशिक्षण देने का काम शुरु है। कई योजना कार्यान्वीत है, ऐसा भी प्रशासन की ओर से बताया गया है़।