दिव्यांगों को सुविधाएं और न्याय दिलाना सामूहिक जिम्मेदारी
Wardha News: दिव्यांगता केवल एक व्यक्तिगत सीमा नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी है। समाज के हर व्यक्ति, विशेष रूप से बच्चों को न्याय, शिक्षा और स्वास्थ्य की समुचित सुविधा मिलना यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह विचार प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष हेमंत गायकवाड़ ने व्यक्त किए।यह वक्तव्य उन्होंने विकास भवन, वर्धा में उच्च न्यायालय मुंबई की बाल न्याय समिति के निर्देशानुसार आयोजित दिव्यांग बच्चों के लिए पहचान और मूल्यांकन शिविर के उद्घाटन अवसर पर दिया।
इस शिविर का आयोजन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला परिषद और सामान्य अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम में जिलाधिकारी वान्मथी सी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी पराग सोमण, पुलिस अधीक्षक अनुराग जैन, जिला सर्जन डॉ। सुमंत वाघ, वकील संघ के अध्यक्ष जयंत उपाध्याय, प्राधिकरण के सचिव विवेक देशमुख आदि उपस्थित थे। न्यायाधीश हेमंत गायकवाड़ ने कहा कि इस शिविर के माध्यम से दिव्यांग बच्चों की स्वास्थ्य से संबंधित ज़रूरतों की पहचान की जाएगी, उचित उपचार का मार्गदर्शन मिलेगा और उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
जांच के पश्चात उन्हें प्रमाणपत्र और शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिलेगा, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं और दिव्यांगता के कारण कोई भी बच्चा पीछे न छूटे, इसके लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे। समावेशी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सम्मान हर बच्चे का अधिकार है। उन्होंने अभिभावकों से भी अपील की कि वे अपने बच्चों की क्षमताओं को समझें और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दें।
जिलाधिकारी वान्मथी सी ने जानकारी दी कि शासन द्वारा दिव्यांगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। पूर्व में सामान्य अस्पताल में दिव्यांग प्रमाणपत्र के लिए एक दिन निश्चित था, अब सप्ताह में दो दिन तय किए गए हैं जिससे दिव्यांगों को शीघ्र प्रमाणपत्र मिल सकेगा। इसके साथ ही शिक्षा के साथ-साथ उन्हें व्यवसायिक अवसर देने हेतु प्रशिक्षण सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है।
सीईओ पराग सोमण ने बताया कि जिले में लगभग 26 से 28 हजार दिव्यांग हैं। जिनके पास प्रमाणपत्र नहीं है, वे जल्द से जल्द प्रमाणपत्र प्राप्त करें ताकि उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ मिल सके। जिला परिषद की शेष निधि योजना के तहत दिव्यांग बालिकाओं को भविष्य निधि के रूप में ₹5000 का किसान विकास पत्र दिया जा रहा है, साथ ही दिव्यांगों के लिए सामग्री, कार्यालयों और स्कूलों में रैंप, शौचालय आदि सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
पुलिस अधीक्षक अनुराग जैन ने बच्चों और अभिभावकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी, अंधविश्वास और यौन शोषण जैसी घटनाओं से सतर्क रहने की अपील की। यदि कोई घटना सामने आती है तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें।
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इस अवसर पर 10 दिव्यांग बच्चों को प्रतीकात्मक रूप से दिव्यांग पहचान पत्र, स्टिक, श्रवण यंत्र, ट्रायसिकल व्हीलचेयर, वॉकर आदि वितरित किए गए। शिविर में कुल 40 आयुष्मान कार्ड बनाए गए, 92 आवेदन प्राप्त हुए, 60 प्रमाणपत्र वितरित हुए और 5 दिव्यांगों को विभिन्न सामग्री प्रदान की गई। शिविर स्थल पर दिव्यांग प्रमाणपत्र आवेदन, स्वास्थ्य जांच, आयुष्मान कार्ड रजिस्ट्रेशन जैसे विभिन्न स्टॉल लगाए गए थे। मान्यवरों ने इन स्टॉल्स का निरीक्षण भी किया।
कार्यक्रम का प्रास्ताविक विवेक देशमुख ने किया। संचालन बाल न्याय मंडल के प्रमुख न्यायाधीश पी.ए. ढाणे ने किया तथा आभार प्रदर्शन वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश भागवत गावंडे ने किया। इस कार्यक्रम में जिला न्यायालय के न्यायाधीश, अधिवक्ता, विधि सेवक, नागरिक, दिव्यांग बालक और उनके अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।