मुख्यमंत्री फडणवीस ओबीसी पर अन्याय नहीं होने देंगे (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: शिर्डी में आयोजित तेली समाज की सभा में मराठा समाज के संबंध में जारी किए गए शासन निर्णय पर चिंता व्यक्त की गई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ओबीसी पर अन्याय नहीं होने देंगे, इस पर पूर्व सांसद रामदास तडस ने पुरा भरोसा जताया। इस संदर्भ में तडस शीघ्र मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे। महाराष्ट्र प्रांतिक तैलिक महासभा की विचार मंथन सभा शिर्डी में आयोजित की गई। सभा में राज्य के सभी जिलों के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे़।
संघटना के राज्य अध्यक्ष रामदास तडस की अध्यक्षता में हुई इस सभा में, सरकार द्वारा 2 सितंबर 2025 को मराठा समाज के संबंध में निकाले गए शासन निर्णय के कारण ओबीसी समाज पर गंभीर अन्याय हुआ है और सरकार ने ओबीसी के साथ विश्वासघात किया है। ऐसी भावना कई पदाधिकारियों ने प्रखर रूप से व्यक्त की। इसलिए यह शासन निर्णय सरकार को तुरंत रद्द करना चाहिए और ओबीसी समाज को न्याय देना चाहिए ऐसी मांग की गई। संताजी आर्थिक विकास महामंडल को पूर्ण स्वतंत्र दर्जा देकर, श्री परशुराम महामंडल की धर्ती पर अधिकार दिए जाएं और 500 करोड़ रुपये का भाग भांडवल दिया जाए। सरकारी और अशासकीय पदों पर नियुक्तियां तुरंत की जाएं तथा समाज के लिए मुंबई में सरकार की ओर से एक भूखंड सरकार दर पर दिया जाए।
इसके लिए तैलिक महासभा ने पहल करते हुए, अध्यक्ष रामदास तडस के नेतृत्व में महासचिव डॉ. भूषण कर्डिले, कार्याध्यक्ष गजुनाना शेलार, उपाध्यक्ष अशोक व्यवहारे,संजय विभुते, कोषाध्यक्ष बळवंतराव मोरघडे, व्यापार आघाडी अध्यक्ष पोपट गवली, सुनील चौधरी, अतुल वांदिले आदि का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुळे से मुलाकात कर तेली समाज और ओबीसी की समस्याओं पर चर्चा कर समाधान निकालने का निर्णय सर्वानुमति से लिया गया।
ये भी पढ़े: 17 हजार करोड़ की लागत से अलीबाग में बनेगी लग्जरी टाउनशिप, हीरानंदानी बना रहे पहली प्राइवेट जेट्टी
मुख्यमंत्री फडणवीस तथा राजस्व मंत्री और ओबीसी मंत्रिमंडल उपसमिति के अध्यक्ष बावनकुले ने कई बार कहा है कि ओबीसी पर अन्याय नहीं होगा। लेकिन इस संबंध में ओबीसी समाज असमंजस और चिंता में है। इसलिए इस मुलाकात की ओर राज्य के ओबीसी समाज की नजरें टिकी हुई है। अगर इस मुलाकात से समाधान नहीं निकलता है, तो राज्य की सभी ओबीसी संगठनों को एकजुट होकर इसके लिए संघर्ष करना चाहिए और इस संघर्ष का नेतृत्व महाराष्ट्र प्रांत तैलिक महासभा को करना चाहिए। ऐसा भी इस सभा में सर्वानुमति से तय किया गया।