
सीसीआई से ज्यादा निजी व्यापारियों को फायदा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) की जटिल और सख्त शर्तों के कारण जिले के बड़ी संख्या में किसानों ने सीसीआई की बजाय निजी व्यापारियों को कपास बेचना पसंद किया है। इसका परिणाम यह रहा कि 10 दिसंबर तक सीसीआई की तुलना में निजी बाजार में अधिक कपास की खरीदी हो चुकी है। जिले में 23,127 किसानों से निजी व्यापारियों ने कुल 2,94,985.67 क्विंटल कपास खरीदी है। हालांकि आरोप है कि निजी व्यापारी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दर देकर आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।
खरीफ मौसम में अतिवृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ। इसके बाद सोयाबीन में रोग फैलने से हजारों हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ। कई किसानों को बेहद कम उत्पादन मिला। इसके बावजूद किसानों ने कपास की फसल पर हजारों रुपये खर्च कर दवाइयों का छिड़काव किया, लेकिन गुलाबी सुंडी के प्रकोप से उत्पादन घटकर प्रति एकड़ मात्र 4 से 5 क्विंटल तक सिमट गया। कुछ किसानों को तो एक-दो तुड़ाई के बाद ही फसल समेटनी पड़ी।
कपास किसानों को समर्थन मूल्य दिलाने के लिए जिले में सीसीआई के 13 खरीदी केंद्र शुरू किए गए हैं। कपास किसान ऐप पर 38,087 किसानों ने पंजीकरण कराया है, लेकिन 10 दिसंबर तक केवल 6,869 किसानों से 1,30,468.91 क्विंटल कपास की ही खरीदी हो सकी है। सीसीआई की धीमी गति के कारण अब भी 23 हजार से अधिक किसानों की कपास खरीदी शेष है। मजबूरी में किसान निजी व्यापारियों को कपास बेच रहे हैं, जहां उन्हें कम दाम मिल रहा है। वर्तमान में सीसीआई द्वारा अच्छी गुणवत्ता की कपास का समर्थन मूल्य 8,060 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि खुले बाजार में निजी व्यापारी करीब 7,500 रुपये प्रति क्विंटल ही दे रहे हैं।
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सीसीआई और निजी व्यापारियों द्वारा जिले में 10 दिसंबर तक कुल 4,25,454.58 क्विंटल कपास की खरीदी की जा चुकी है, जिसमें 29,996 किसान शामिल हैं। गुलाबी सुंडी के प्रकोप से उत्पादन में आई भारी गिरावट के कारण किसान पहले से ही संकट में हैं।
किसान अरुण खंगार ने बताया कि सीसीआई के कपास किसान ऐप पर पंजीकरण अनिवार्य है, लेकिन इसमें कई जटिल शर्तें हैं। इसी वजह से मजबूरी में किसानों को निजी व्यापारियों को कपास बेचना पड़ता है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।






