एक्सिस बैंक (सोर्स: सोशल मीडिया)
Wardha Fraud Case News: एक्सिस बैंक की भामटीपुरा स्थित ब्रांच में 2.55 करोड़ रुपये का बड़ा बैंकिंग फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। पांच रिलेशन ऑफिसरों ने 20 लोगों के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन स्वीकृत करवा लिया। इस गंभीर मामले में वर्धा शहर पुलिस ने बैंक मैनेजर की शिकायत पर धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
आरोपियों में सेलू तहसील के धामणगांव निवासी शशिकांत दशरथ मांढरे, वडगांव खुर्द निवासी प्रदीप विनोद भांडेकर, वडगांव जंगली निवासी अंकुश राम वैरागडे, गोंदिया निवासी प्रदीप जयसिंह रहांगडाले, और यवतमाल के मोख निवासी उमेश राठोड़ का समावेश है। ये सभी रिलेशन ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे और इनका काम होम लोन, पर्सनल लोन व मॉर्गेज लोन प्रोसेस करना था।
बैंक की आंतरिक जांच में सामने आया कि वर्ष 2022-23 के दौरान इन अधिकारियों ने 26 लोन केस में फर्जी दस्तावेज लगाकर लोन पास कराए, जिनमें से 20 लोन केस वर्धा ब्रांच से संबंधित हैं। इन मामलों में फर्जी सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट और पहचान पत्र लगाए गए।
जिन लोगों के नाम पर लोन लिए गए, उनमें से अधिकांश के पास लोन चुकाने की क्षमता ही नहीं थी। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करीब ₹2 करोड़ 55 लाख 92 हजार की राशि लोन के रूप में बैंक से निकाली गई।
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए बैंक ने वरिष्ठ अधिकारियों की एक पांच सदस्यीय समिति गठित की। इसमें सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रोजाली रशमीरखा सेवीक देव कुंडू, शाम एस जाजू, मौजी आसिफ बॉक्सवाला, और प्रमोद रामचंद्र राव शामिल थे। समिति ने तकनीकी और दस्तावेजीय जांच के बाद पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया और अपनी रिपोर्ट बैंक प्रबंधन को सौंपी।
जांच में पता चला कि रिलेशन ऑफिसरों ने जिन 20 लोगों के नाम पर लोन उठाया, उनमें ललित थोरात, विनोद बोरकर, स्वाति मगर, मिनाक्षी गेडाम, अतीक रफीक शेख, रविंद्र गोमासे, गजानन गहूकार, सचिन लाडके, संदीप मडरे, निशांत ओगले, संतोष मोनातुरे, मंगेश जाधव, दीपक माहुलकर, प्रफुल्ल इंगोले, मीना वैरागडे, अंकुश वैरागडे, संतोष गवई, अमित कुलकर्णी और रणजीत वंजारी जैसे नाम शामिल हैं। इनके नाम पर फर्जी कागजात बनाकर बैंक से लोन उठाया गया, जो अब एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) बनने की कगार पर हैं।
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बैंक की शिकायत पर वर्धा शहर पुलिस ने सभी पांच रिलेशन ऑफिसरों के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 471 (फर्जी दस्तावेज बनाना और इस्तेमाल करना) समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने कहा है कि मामले की विस्तृत जांच जारी है और जरूरत पड़ने पर अन्य कर्मचारियों की भी भूमिका की जांच की जाएगी।
यह मामला न केवल बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भीतर के कर्मचारी किस तरह बैंक को चूना लगाने में सक्षम हो सकते हैं, अगर उन पर उचित निगरानी न रखी जाए।