बेटे रितेश के साथ विलासराव देशमुख (सोर्स: सोशल मीडिया)
आज महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख की जयंती है। उनका जन्म 26 मई 1945 को लातूर जिले के बाभलगांव में हुआ था। विलासराव मराठा समुदाय में पैदा हुए थे। उन्होंने अपनी दसवीं तक की शिक्षा मराठवाड़ा के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राप्त की व कॉलेज की शिक्षा पुणे में प्राप्त की। उन्होंने बीएससी पूरी की और बी.ए. आबासाहेब गरवारे कॉलेज में पूरा किया। इसके बाद उन्होंने पुणे में कानून की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्होंने सूखे से प्रभावित लोगों की मदद करते हुए अपना सामाजिक कार्य शुरू किया।
जैसे-जैसे विलासराव राजनीतिक सीढ़ी चढ़ते गए, उन्होंने अपने परिवार का भी भरपूर सहयोग किया। विलासराव की पत्नी का नाम वैशाली देशमुख है और उनके तीन बच्चे हैं। अमित देशमुख वर्तमान में लातूर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूसरा बेटा रितेश और तीसरा बेटा धीरज। रितेश देशमुख आज बॉलीवुड में एक स्टार बन चुके हैं।
विलासराव की शिक्षा पुणे शहर में हुई, परंतु उनका राजनीतिक जीवन उनके गांव में शुरू हुआ। 1974 में वे बाभलगांव ग्राम पंचायत के सदस्य बने। वह 1974 से 1979 तक गांव के सरपंच रहे। 1974 में राजनीति में प्रवेश करने वाले विलासराव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विलासराव, जिन्होंने अपना करियर ग्राम पंचायत सदस्य और सरपंच के रूप में शुरू किया, बाद में उस्मानाबाद जिला परिषद के सदस्य और लातूर तालुका पंचायत समिति के अध्यक्ष बने। उन्होंने 1975 से 1978 तक उस्मानाबाद युवा कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। इस अवधि के दौरान उन्होंने युवा कल्याण के लिए पांच सूत्री कार्यक्रम लागू किया। युवा कांग्रेस में उनकी उपलब्धियां रंग लाईं और वे उस्मानाबाद जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।
1995 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने शिवसेना की मदद से विधान परिषद का चुनाव लड़ने का फैसला किया और शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे का समर्थन मांगने ‘मातोश्री’ पहुंचे गए। हालांकि, शिवसेना की मदद लेने के बावजूद वे विधान परिषद का चुनाव हार गए।
कांग्रेस से बगावत कर शिवसेना की मदद लेने और कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद शायद ही किसी ने सोचा होगा कि आगे जाकर वे उसी कांग्रेस के चहेते हो जाएंगे। लेकिन विलासराव के जननेता वाली छवि ने को कांग्रेस नजरअंदाज नहीं कर पाई। कुछ सालों में वे कांग्रेस से फिर विधायक बने और फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी बन गए।
1995 का चुनाव हारने वाले देशमुख ने 1999 का विधानसभा चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की। यह वह दौर था जब शरद पवार ने कांग्रेस से नाता तोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई और अलग से चुनाव लड़ा। 14 मार्च 1995 से 11 अक्टूबर 1999 तक महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार थी।
1999 के विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश मिला। कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना-भाजपा को रोकने के लिए गठबंधन सरकार बनाई और इसकी कमान विलासराव देशमुख को सौंपी गई। विलासराव ने 18 अक्टूबर 1999 को पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की शपथ ली और 17 जनवरी 2003 तक राज्य की बागडोर संभाली।
इसके बाद 18 जनवरी 2003 से 19 अक्टूबर 2004 तक उनके करीबी सुशील कुमार शिंदे ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। लेकिन 1 नवंबर 2004 को देशमुख ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की। 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के कारण उन्होंने 4 दिसंबर 2008 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वे केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो गए। वे 8 मई 2009 को मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में केन्द्रीय उद्योग मंत्री बने। जनवरी 2011 में उनका विभाग बदल दिया गया और उन्हें ग्रामीण विकास विभाग दे दिया गया।
महाराष्ट्र में कई ऐसे नेता है जिनका बॉलीवुड में तगड़ा कनेक्शन रहा है। इनमें से एक विलासराव देशमुख भी है। यही वजह है कि उनके बेटे रितेश देखमुख आज फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बना चुके हैं।