नागपुर बस ऑपरेटर्स (सौ. Navbharat )
Nagpur News: ट्रैवल्स एसोसिएशन ऑफ नागपुर ने सिटी में पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि पहले बस ऑपरेटर्स को जगह दिलाने का प्रयास करना चाहिए था और तब हमें हटाने या सिटी में बस नहीं लाने का निर्देश दिया जाना था लेकिन पुलिस विभाग ने कोई मौका नहीं दिया। इसके कारण शहर को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
संगठन के पदाधिकारी बाबा डवरे, महेंद्र लुले ने कहा कि यह लड़ाई कोई एक दिन की नहीं है. पिछले 25 वर्षों से लड़ी जा रही है। हम निरंतर और लगातार प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि हमें पिक अप पाइंट और स्टापेज के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए लेकिन स्थानीय प्रशासन, मनपा, एनआईटी इसमें नाकाम रहीं और अपनी नाकामी का ठीकरा हम पर फोड़ रही हैं।
पदाधिकारियों ने कहा कि इस बार भी बैठक हुई। कमेटी गठन का विश्वास दिलाया गया लेकिन कमेटी बनी ही नहीं. इसके बाद पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने पिछले दिनों आश्वासन दिया था कि 7 दिनों की मोहलत दी जाए लेकिन पुलिस विभाग अपने स्टाइल में काम करने लगा। पालक मंत्री के निर्देशों का पालन भी नहीं किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि बस संचालक के साथ-साथ नागरिक भी पूरे दिन परेशान होते रहे।
डवरे ने कहा कि 25 वर्षों से आश्वासन पर आश्वसन दिया जा रहा है। एक-एक कर जगह पर कब्जा कर लिया गया. प्रस्तावित बस स्टैंड पर अस्पताल बन गए। इसी प्रकार कई स्थानों पर कब्जा कर निर्माण कार्य कर लिया गया लेकिन प्रशासन उसका विकास नहीं कर सका। इसके बाद अचानक बस ऑपरेटर्स को ही जिम्मेदार ठहराकर कार्रवाई की जाने लगी। प्रशासन पहले अपने गिरेबान में झांक ले तो समस्याएं अपने आप सुलझ सकती हैं लेकिन प्रशसन ने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया।
पिछली बार एक अधिकारी ने खापरी, वाड़ी और पारडी में जमीन दिलाने और बस स्टैंड विकसित करने की बात की थी। हमने भी हामी भर दी थी लेकिन अधिकारी का ट्रांसफर हो गया और मामला अटक गया। कोई ठोस पहल हो ही नहीं सकी. इसके बाद बस ऑपरेटर्स ने एक-एक नेताओं से संपर्क किया। समस्या का समाधान निकालने का निवेदन दिया लेकिन सारे के सारे निवेदन धरे के धरे रह गए।
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हालांकि ऑपरेटर्स ने माना कि बस को सड़क के बीचोबीच खड़ा करना गलत है। निश्चित रूप से ऐसी स्थिति में बसों पर कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन पुलिस को इसकी कोई चिंता नहीं है। पुलिस वाले मोबाइल लेकर ‘चालान’ बनाने में जुट जाते हैं। उन्हें ‘पब्लिक’ से कोई सरोकार रहता ही नहीं है। इतना ही नहीं, वहीं पर लगे ठेलों, अन्य वाहनों पर भी कार्रवाई नहीं होती है जो जाम के वास्तविक कारण हैं। इस अवसर पर शैलेष पांडे, सुमित गुप्ता, संजय मोहता, देवा निखाडे उपस्थित थे।