
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Thane Harassment Case Judgement: ठाणे की विशेष न्यायाधीश रूबी यू. मालवंकर ने तीन नाबालिग छात्राओं के यौन शोषण के मामले में 35 वर्षीय आरोपी शिक्षक को तीन साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह आदेश 31 अक्टूबर को पारित किया गया, जिसकी प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई। अदालत ने आरोपी शिक्षक पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
यह मामला तब सामने आया जब एक पीड़िता के पिता ने 22 नवंबर 2019 को शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि उन्होंने उसी दिन एक निजी ट्यूशन सेंटर में शिक्षक को अपनी बेटी के साथ अश्लील कृत्य (अभद्र हरकत) करते हुए देखा था।
शिकायत दर्ज कराते समय पीड़िता की उम्र छह वर्ष थी और वह दूसरी कक्षा में पढ़ रही थी। बाद में, दो अन्य लड़कियों ने भी आरोपी के खिलाफ ऐसे ही आरोप लगाए।
अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरोपी ने तीनों लड़कियों का “यौन उत्पीड़न” किया था। आरोपी, जो महाराष्ट्र के ठाणे जिले के दिवा का निवासी है, उसने खुद को पेशेवर प्रतिद्वंद्विता या झूठे मामले में फंसाए जाने की दलील दी थी, जिसे न्यायाधीश ने खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि पेशेवर दुश्मनी का कोई प्रमाण नहीं है।
फैसले में न्यायाधीश ने पीड़िता के बयान की विश्वसनीयता पर जोर दिया। अदालत ने कहा कि घटना के समय पीड़िता की उम्र बहुत कम थी और वह दूसरी कक्षा में पढ़ रही थी, इसलिए यह उम्मीद करना संभव नहीं है कि इतनी छोटी बच्ची को सबकुछ बिल्कुल ठीक याद हो और वह उसे अदालत में दोहरा सके।
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इसके बावजूद, उसने आरोपी के कृत्य का मुख्य सार बताया है। अदालत ने कहा कि इस बयान में कोई विरोधाभास नहीं है और इसे “रटाया गया बयान” नहीं माना जा सकता।
न्यायाधीश ने शिक्षक के आचरण पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी ने एक शिक्षक के रूप में पूरी तरह अनुचित व्यवहार किया। उसने पढ़ने आई छोटी बच्चियों के साथ अभद्र हरकत की और अपने कृत्यों से बच्चियों के शरीर, मन और मस्तिष्क पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में नहीं सोचा।
अदालत ने कहा कि ऐसे कृत्य निंदनीय होते हैं और इनके साबित होने पर कड़ी सजा दी जानी चाहिए। अदालत ने निर्देश दिया कि लगाया गया 15,000 रुपये का जुर्माना तीनों पीड़िताओं को समान रूप से मुआवजे के रूप में दिया जाए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)






