पनवेल महानगरपालिका (pic credit; social media)
Panvel News: पनवेल के बीचों-बीच 15 करोड़ रुपये की लागत से बना प्रशासनिक भवन आज अपनी ही बदहाली का शिकार हो चुका है। सरकार की योजना थी कि इस भवन के जरिए पनवेल तहसील स्तर के सभी महत्वपूर्ण दफ्तर एक ही छत के नीचे आएं और नागरिकों को सुविधाएं एक ही जगह पर मिल सकें। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। भवन की हालत इतनी दयनीय हो चुकी है कि यहां आने वाले नागरिकों को रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिवसेना पनवेल महानगर जिला शाखा के नेता चंद्रशेखर सोमण ने इस मुद्दे पर आवाज बुलंद की है। उन्होंने पनवेल के उप-विभागीय अधिकारी पवन चांडक को पत्र लिखकर विरोध जताया और तत्काल कार्रवाई की मांग की। सोमण ने साफ कहा है कि प्रशासनिक भवन का हाल देखकर यह समझ पाना मुश्किल है कि आखिर करोड़ों रुपये कहां खर्च किए गए।
भवन में बुनियादी सुविधाओं का हाल बेहाल है। शौचालय गंदगी से पटे रहते हैं, पीने के पानी की भारी कमी है, बार-बार बिजली कटौती होती है और सीसीटीवी कैमरे तक उपलब्ध नहीं हैं। सुरक्षा इंतजाम नाम मात्र के हैं और नागरिकों को अस्वास्थ्यकर माहौल में काम निपटाना पड़ता है।
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विडंबना यह है कि जिस पनवेल में जल्द ही अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन होने वाला है, वहीं उसी इलाके का प्रशासनिक भवन बदइंतजामी का प्रतीक बन चुका है। शिवसेना ने लोक निर्माण विभाग से सवाल किया है कि सफाई और रखरखाव की जिम्मेदारी आखिर किसकी है।
सोमण ने चेतावनी दी है कि अगर इस मामले में तुरंत सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो शिवसेना भवन के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्तावित अन्य सरकारी कार्यालयों को इस भवन में कब स्थानांतरित किया जाएगा, इस पर भी विभाग को स्पष्ट जवाब देना होगा।
इस पूरे घटनाक्रम में शिवसेना पदाधिकारियों की उपस्थिति ने मामले को और गरमा दिया। महानगर संगठक मंगेश रानाबड़े, उप महानगर प्रमुख महेश सावंत, शहर प्रमुख प्रसाद सोनावणे और संगठक अभिजीत समेत कई नेता सोमण के साथ खड़े नजर आए।
उपविभागीय अधिकारी पवन चांडक ने आश्वासन दिया है कि समस्या को लेकर शीघ्र ही संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी और समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह आश्वासन जमीनी हकीकत में बदल पाएगा, या पनवेल प्रशासनिक भवन की बदहाली यूं ही बनी रहेगी।