केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे-सिंड्रोम (GBS) दहशत पैदा कर दी। हालांकि अब इसका प्रकोप कम होता दिखाई दे रहा है। इसे लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। देश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि महाराष्ट्र में 3 मार्च तक गिलियन-बैरे-सिंड्रोम (GBS) के 224 मामले सामने आए और इसके कारण 12 मौतें हुईं।
जाधव ने उच्च सदन को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि जांच से संकेत मिलता है कि लोगों में जीबीएस का सबसे संभावित कारण कैम्पिलोबैक्टर की वजह से हुआ पिछला संक्रमण है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया कि रोगजनकों (पैथोजन) और प्रकोप का अध्ययन करने के लिए 2 जनवरी को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC), राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) पुणे के विशेषज्ञों वाली केंद्रीय तकनीकी टीम को मौके पर भेजा गया था।
राज्यसभा में जाधव ने बताया कि ज्यादातर मामले पुणे के विशिष्ट समूहों से सामने आए हैं, जिसमें नांदेड़ में अतिरिक्त मामले शामिल हैं। महामारी विज्ञान जांच के लिए इन क्षेत्रों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि अध्ययन का उद्देश्य प्रकोप के सटीक स्रोत की पहचान करना था, जिसमें जल आपूर्ति प्रणालियों, जल स्रोतों और अन्य प्रासंगिक कारकों की गहन जांच की गई।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि जांच से संकेत मिलता है कि लोगों में जीबीएस का सबसे संभावित कारण कैम्पिलोबैक्टर की वजह से होने वाला पिछला संक्रमण है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल राज्य का विषय है और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की है।
देश की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उनके कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (PIP) में उनके द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर उनके स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो मानदंडों और संसाधनों की उपलब्धता के अधीन है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार या जीबीएस से मरने वाले या पीड़ित व्यक्तियों के रिश्तेदारों को केंद्रीय सहायता प्रदान नहीं की है।