रणसंग्राम : गांव-गांव में बैठकों, संपर्क और राजनीतिक समीकरणों की हलचल (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pandharpur political : स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावी मौसम की आहट के साथ ही निर्वाचन आयोग ने कार्यक्रम घोषित कर दिया है। इस पृष्ठभूमि में स्थापित राजनीतिक दलों के नेता और उनके समर्थक फिर एक बार सक्रिय हो गए हैं।गांव-गांव में बैठकों, गाठीभेट (संपर्क बैठकों) और राजनीतिक समीकरण साधण्याचे प्रयत्न (राजनीतिक समीकरण साधने के प्रयास) शुरू हो गए हैं। मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मोर्चेबंदी तेज हो गई है।
किसान, खेतमजदूर, श्रमिक और वंचित वर्ग के मत प्राप्त करने के लिए विभिन्न नए उपक्रम और आश्वासन दिए जा रहे हैं। लेकिन पिछले पाँच वर्षों में यही लोग समाज के हित के लिए कहाँ थे, यह सवाल मतदाताओं के मन में उठ रहा है।
“रहो मत बेकी से, अब चलो एकता से!”यह संदेश हर मतदाता तक पहुँचना चाहिए।उच्च शिक्षित, निष्कलंक चरित्रवान और समाज से जुड़ाव रखने वाले उम्मीदवारों को ही अवसर मिलना चाहिए। किसान के न्याय, अधिकार और हक़ के लिए सड़कों पर उतरने वाला उम्मीदवार किसी भी दल का हो, उसे समर्थन दिया जाना चाहिए, ऐसा आवाहन विधायक अभिजीत पाटील ने किया।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए बार-बार दल बदलने वाले नेताओं को जनता को दूर रखना चाहिए। यह समाज को लग चुकी एक बीमारी है और इसे खत्म करने का समय अब आ गया है। पाटील ने कहा, पिछले 75 वर्षों में हमारी नगर परिषद, जिला परिषद और पंचायत समितियों से हमें क्या मिला। इसका लेखा-जोखा अब मतदाताओं को लेना चाहिए।
उन्होंनेअपील की कि सक्षम और जनहित को प्राथमिकता देने वाले उम्मीदवारों का समर्थन करें।
गांव-गांव में चौक-चौराहों और चाय की टपरी (दुकानों) पर बैठकर खुद को “लोकप्रिय उम्मीदवार” बताने वाले तथाकथित नेता फिर से सक्रिय हो गए हैं। समाजनिष्ठा से अधिक पक्षनिष्ठा और नेतानिष्ठा निभाने वाले इन अवसरवादी कार्यकर्ताओं से मतदाताओं को सतर्क रहने की आवश्यकता है, ऐसा आवाहन पंढरपुर-माढा विधानसभा क्षेत्र के विधायक अभिजीत पाटील ने किया।
विधायक पाटील ने कहा -“मतदाताओं को यह सवाल पूछना जरूरी है> पिछले पाँच वर्ष आप कहाँ थे?” राजनीतिक खेमों में पले-बढ़े, नेता-प्रायोजित और अयोग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर जनता को अब प्रस्थापितों की एकाधिकार व्यवस्था तोड़नी होगी। उन्होंने आगे कहा, “जब तक राजनीतिक व्यवस्था नहीं बदलेगी, समाज की स्थिति भी नहीं बदलेगी।”