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मुंबई. आगामी महीनों में होनेवाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्वावली महाराष्ट्र की महायुति सरकार कोई जोखिम मोल लेने के मूड में नहीं है। पहले ही ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीन’, ‘अन्नपूर्णा’ और ‘लेक लाडकी’ जैसी मास्टर स्ट्रोक योजना के जरिए महिलाओं को तथा दूसरी योजनाओं के जरिए बेरोजगार युवाओं एवं किसानों को साधने का प्रयास सरकार कर रही है। लेकिन इसके बाद भी सरकार आए दिन बड़ी घोषणाओं के जरिए हर तबके को अपने साथ लेने की सरकार की कोशिश लगातार जारी है। मंगलवार और बुधवार की महायुति सरकार की कैबिनेट बैठकों के दौरान लिए गए निर्णय इसका प्रमाण है। मंगलवार को शिक्षकों के लिए बड़ा निर्णय लेने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की कैबिनेट ने ‘विकास के मारों’ यानी परियोजना प्रभावितों (पीएपी) को घर देने की घोषणा करके विपक्ष को चित करनेवाला एक और बड़ा दांव खेल दिया है।
प्रधानमंत्री पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे वैश्विक नेता का चेहरा और राज्य की सत्ता हाथ में होने के बाद भी दुनिया और देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) व राकां (अजित पवार) के गठबंधन वाली महायुति को लोकसभा चुनाव में शर्मनाक शिकस्त झेलनी पड़ी। अपनो की बगावत से आहत शिवसेना उद्धव गुट, राकां (शरद पवार) और निस्तेज पड़ी कांग्रेस ने महायुति को धूल चटा दिया। राज्य में 45 से ज्यादा सीटें जीतने का दम भरनेवाली महायुति के सांसदों की संख्या 41 से 17 पर सिमट गई। यही वजह है कि अब सरकार सभी को साधने की कोशिश कर रही है। बुधवार हुई कैबिनेट बैठक में प्रोजेक्ट प्रभावित लोगों को फ्लैट मुहैया कराने की नीति को मंजूरी दे दी।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में परियोजना पीड़ितों के लिए फ्लैटों के निर्माण को बढ़ाने का निर्णय लिया गया था। इस नीति के अनुसार, मुंबई मनपा, स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) और एमएमआरडीए को अगले 15 वर्षों में पर्याप्त संख्या में परियोजना प्रभावित फ्लैटों के निर्माण के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करनी होगी। इन अथॉरिटीज को समीक्षा करनी है कि अगले 3-5 साल में कितने प्रोजेक्ट फ्लैट्स की जरूरत है? परियोजना को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए टीडीआर उत्पादन और उसके उपयोग के प्रावधान में भी सुधार की आवश्यकता है।
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मुंबई मनपा, म्हाडा की परियोजनाओं में बनाए गए अतिरिक्त फ्लैटों का उपयोग परियोजना प्रभावित फ्लैटों के रूप में किया जाएगा। ग्रेटर मुंबई में परियोजना के मद्देनजर समन्वय समिति को परियोजना प्रभावित फ्लैटों की उपलब्धता के अनुसार प्राथमिकता तय करने का अधिकार होगा। शहरी विकास विभाग सरकारी भूमि के साथ-साथ केंद्र के अधिकार क्षेत्र के तहत मिठागर (नमक) भूमि, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की भूमि को परियोजना प्रभावित फ्लैटों के लिए उपलब्ध कराने के लिए अनुवर्ती कार्रवाई की जाएगा। इसके अलावा, यदि डेवलपर विभिन्न योजना प्राधिकरणों की योजनाओं के समामेलन की अनुमति देकर परियोजना-प्रभावित फ्लैट देता है, तो उस डेवलपर को बिक्री के लिए प्रस्तावित इकाई से प्रीमियम में 50 प्रतिशत तक प्रीमियम समायोजित करने की अनुमति दी जाएगी।
गौरतलब हो कि मुंबई व आसपास के क्षेत्रों में सड़कों, नालों का विस्तारीकरण, पुलों का निर्माण एवं मेट्रो रेल जैसी विकास की परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। ऐसी परियोजनाओं के कारण हजारों लोगों को विस्थापित (अपना आशियाना गंवाना) होना पड़ा है। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019 मुंबई में मनपा का विभिन्न परियोजनाओं के कारण करीब 35,000 परिवारों को विस्थापित होना पड़ा था। लेकिन दिसंबर 2023 तक यह संख्या 74,752 तक पहुंच गई थी।
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बांद्रा पूर्व ज्ञानेश्वर नगर में मेट्रो रेल के निर्माण कार्य के कारण सैकड़ों लोगों को अपने घर से हाथ धोना पड़ा। इनमें से कई लोगों को अपात्र ठहरा दिया गया। उन्हें मकान नहीं मिला और वो लोग आज भी अपने घर की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी तरह तानसा पाइप लाइन प्रोजेक्ट के कारण नवंबर 2017 में कई लोगों को अपना मकान गंवाना पड़ा था। इन प्रभावितों को चेंबूर के माहुल गांव में वैकल्पिक मकान दिए गए थे। लेकिन गंभीर वायु प्रदूषण के कारण कई लोग माहुल गांव जाने को तैयार नहीं हुए। मामला कोर्ट पहुंचा तो मनपा को अदालत ने फटकारा था।
आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने कहा कि यह समय की आवश्यकता है। आज कई पीएपी धारक को इसलिए घर और दुकान नहीं मिल रहा है क्योंकि मनपा, एसआरए, एमएमआरडीए के पास पर्याप्त पीएपी उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा हजारों मामलों में कब्जा जमाए और घुसपैठ करनेवालों पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए।