कहीं बारिश, कहीं सूखा, जानें अगले हफ्ते राज्य भर में कैसा रहेगा मौसम? (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Weather Update: महाराष्ट्र राज्य में मौसम लगातार बदल रहा है। कहीं बारिश हो रही है तो कहीं सूखा पड़ रहा है। इस बीच, राज्य के अधिकांश हिस्सों में पिछले चार-पांच दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ है। इस बीच, मौसम विशेषज्ञ पंजाबराव दख ने अगले हफ्ते राज्य के मौसम के बारे में जानकारी दी है। आइए विस्तार से जानें।
उत्तर महाराष्ट्र के नासिक, धुले, जलगांव और नंदुरबार जिलों में 13 सितंबर तक अच्छी धूप खिली रहेगी। उसके बाद, पंजाबराव दख ने 14 से 18 सितंबर के बीच भारी बारिश की भविष्यवाणी की है।
पंजाबराव दख ने 13 से 18 सितंबर के बीच पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के सोलापुर, सांगली, सतारा, पुणे, अहमदनगर, लातूर, नांदेड़, परभणी, बीड, हिंगोली और यवतमाल जिलों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। इससे नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है, बांधों से पानी छोड़ा जा सकता है और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
सोयाबीन और उड़द की कटाई के साथ-साथ नए ज्वार की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए। मराठवाड़ा के नांदेड़, उमरखेड़, किनवट इलाकों में आज रात (9 सितंबर) से ही बारिश शुरू हो जाएगी। 10, 11, 12 सितंबर को बारिश तेज़ होगी। 13 से 18 सितंबर के बीच बारिश बहुत तेज़ होगी।
विदर्भ के चंद्रपुर, गढ़चिरौली, वर्धा, नागपुर, भंडारा, गोंदिया, अमरावती, अकोला, वाशिम, बुलढाणा, जालना जिलों में 12 सितंबर से बारिश शुरू होगी और 14 से 18 सितंबर के बीच भारी बारिश जारी रहेगी।
कोल्हापुर, सांगली, सतारा, पुणे, कोंकण, मुंबई, पालघर, ठाणे में 13 से 18 सितंबर के बीच बहुत भारी बारिश होगी। मुंबई के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है। कोल्हापुर के पास नदियों का जलस्तर 37 से 43 फीट तक बढ़ सकता है। अहमदनगर, संभाजीनगर, जालना के इलाके, जो अब तक सूखे रहे हैं, में 13 से 18 सितंबर के बीच अच्छी बारिश होने की संभावना है, जिससे नदियां और झीलें भर जाएंगी।
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पश्चिमी महाराष्ट्र के बांध पहले से ही लबालब भरे हुए हैं, इसलिए इस बारिश के कारण उनसे पानी छोड़ना ज़रूरी हो सकता है। इससे निचले इलाकों में नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है और बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं। लातूर के मंजारा बांध और पुणे के उजानी बांध से पानी छोड़ना पड़ सकता है।
सभी किसानों को इस पूर्वानुमान पर ध्यान देना चाहिए और अपने खेतों में काम की योजना उसी के अनुसार बनानी चाहिए। खास तौर पर ज्वार की बुवाई 18 सितंबर के बाद ही करनी चाहिए। जल परिवहन मार्ग और नदी किनारे रहने वाले लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।