पुणे जिले के गांव होंगे पानी की किल्लत से मुक्त (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Pune Administration: प्रशासन द्वारा जिले में जलयुक्त शिवार योजना 2।0 के माध्यम से चल रहे 45 कार्यों पर कुल 9 करोड़ 5 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इन कार्यों से लगभग 751 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र को लाभ होगा। साथ ही, 3771 टीएमसी जलसंचय तैयार किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत बारामती तहसील में सबसे अधिक 8 कार्यों पर 1 करोड़ 80 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इससे लगभग 91 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र को लाभ होगा और 616 टीएमसी जलसंचय उपलब्ध होगा।
वहीं सबसे कम खर्च शिरूर तहसील में एक काम पर 9 लाख रुपये किया जाएगा। इससे 5 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र को लाभहोगा और लगभग 19 टीएमसी (एक हजार मिलियन क्यूधिक फीट) जलसंचय तैयार होगा, जिला परिषद के लघु पाटबंधारे विभाग द्वारा दी गई जानकारी के जिले की 11 तहसील में जलयुक्त शिवार के माध्यम से 45 काम चल रहे हैं। के अनुसार
इनमें से 41 काम पूरे हो चुके है और 4 काम अभी भी चल रहे हैं। यह काम आआंबेगांव में 1, भोर में 1। इंदापुर में 1 और जुन्नर में एक काम चल रहा है। यह काम जान्द ही पूरे किए जाएंगे। राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या का स्थायी समाधान करने और सूखे की स्थिति से निपटने के लिए जल युक्त शिवार अभियान 2.0° की शुरुआत वर्ष 2023-24 में की है। यह अभियान वर्ष 2014 में शुरू किए गए सफल पहले चरण का विस्तारित और अधिक व्यापक रूप है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य राज्य के किसानों और ग्रामीण आबादी के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इस अभियान का मुख्य ध्यान व्यापक स्तर पर जलसंधारण और जल सवय पर है, जिसके तहत कई महत्वपूर्ण कार्य किए जाएंगे। इन कार्यों में नालों का गहरीकरण और चौड़ीकरण शामिल है, जिससे उनकी जल संग्रहण क्षमता बढ़ेगी और यां जल जमीन में अधिक रिस सकेगा। इसके अतिरिका, पाझर तालाब का निर्माण किया जाएगा, ये कोल्हापुरी शैली के बांध या तालाब वर्षा के पानी को रोककर भूजल स्तर को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
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योजना के तहत, पहले से निर्मित बांच की मरम्मत और – जीर्णोद्धार किया जाएगा ताकि वे पूरी – क्षमता से काम कर सके। अत में पुराने जलबोतों की माद निकालने का काम किया जाएगा, जिसमें कुओं और तालाबों से मिट्टी और कीचड हटाया जाएगा, जिससे उनकी जल धारण क्षमता और भूजल रिचार्ज दर में उल्लेखनीय वृद्धि हो सके।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के प्राथमिक उद्देश्य बहुआयामी है, जिनका अंतिम लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है। साथ ही बारिश के पानी को गांव की सीमा के भीतर, विशेष रूप से खेतों में, रोककर जमीन के अंदर जल स्तर को बढ़ाना, किसानी के लिए सालभर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना, जिससे कृषि उत्पादकता बढ़े और उन्हें मानसून पर कम निर्भर रहना पड़े और विभिन्न जल संरक्षण कार्यों के माध्यम से गांव को जल-समृद्ध बनाना और भविष्य में पानी की कमी की आशंका को कम करना।