नाशिक के अंगूर किसानों पर आर्थिक संकट गहराया (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nashik News: पिछले पांच महीनों से लगातार बारिश और घने बादलों के कारण द्राक्ष (अंगूर) की बागानों को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाई है। जिससे फलों के उत्पादन पर बड़ा असर पड़ा है। डाउनी, भूरी और करपा जैसे रोगों के प्रकोप में वृद्धि के कारण अतिरिक्त दवाइयों का छिड़काव करना पड़ रहा है, जिससे अंगूर उत्पादक किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।महाराष्ट्र राज्य अंगूर बागान संघ के अध्यक्ष कैलास भोसले ने सरकार से कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपये प्रति एकड़ नुकसान की भरपाई देने की मांग की है।
बता दें कि प्रति एकड़ अंगूर की बागान पर दो से ढाई लाख रुपये तक खर्च होता है, लेकिन लगातार भारी बारिश के कारण बाग को नुकसान पहुंचा है। अतिरिक्त दवाइयों पर करीब एक लाख रुपये का खर्च बढ़ा है। इतना खर्च करने के बाद भी फलों की उपज को लेकर कोई निश्चितता नहीं है, ऐसा पुणे के अंगूर अनुसंधान केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।
लातूर, सोलापुर और धाराशिव में 35 प्रतिशत से अधिक अंगूर बागानों में फलों की उपज नहीं हो पाएगी, जबकि नासिक जिले की स्थिति और भी गंभीर बताई गई है। इसलिए राज्य सरकार से मांग की जा रही है कि वे पंचनामा कर द्राक्ष उत्पादक किसानों को नुकसान की भरपाई में शामिल करें।
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अंगूर उत्पादक संघ, पुणे के अध्यक्ष कैलास भोसले ने कहा, “अंगूर उत्पादक किसान राज्य – सरकार को जीएसटी के माध्यम से दो से ढाई – हजार करोड़ रुपये तका का कर देते हैं, लेकिन – उन्हें यह कर वापस नहीं मिलता, जबकि अंगूर उत्पादन का खर्च प्रति एकड़ बाई से तीन लाख – रुपये के बीच होता है। इसलिए राज्य सरकार को कम से कम डेढ़ से दो लाख रुपये प्रति एकड नुकसान की भरपाई देना चाहिए।