कफ सिरप (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम होने पर तुरंत दवाएं देने के बजाय स्वाभाविक रूप से ठीक होने देना चाहिए। यह सलाह भारतीय बाल रोग विशेषज्ञ संघ की राष्ट्रीय श्वसन शाखा ने दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य सर्दी-खांसी बच्चों में कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाती है। इस पर तुरंत दवा देना न सिर्फ अनावश्यक है, बल्कि कई बार खतरनाक भी साबित हो सकता है।
पुणे के कमला नेहरू अस्पताल, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ स्मिता सांगडे ने कहा है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की खांसी की कोई भी दवा डॉक्टर की अनुमति के बिना नहीं देनी चाहिए। डॉक्टर ही यह तय कर सकते है कि संक्रमण फेफड़ों में है या ऊपरी श्वसन तंत्र का।
केमिस्ट एसोसिएशन ऑफ पुणे डिस्ट्रिक्ट के सचिव अनिल बेलकर ने कहा है कि ऑनलाइन दवा बिक्री पर नियंत्रण नहीं होने से नकली या हानिकारक दवाएं बाजार में आ जाती है। ऐसी कंपनियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, खांसी कोई बीमारी नहीं, बल्कि शरीर की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो फेफड़ों से बलगम निकालने में मदद करती है। इसलिए खांसी को दबाने वाली दवाओं से बचना चाहिए और घरेलू उपाय जैसे गुनगुना पानी, तुलसी-अदरक युक्त गर्म पेय या भाप लेना अधिक फायदेमंद हो सकता है। जब तक बच्चे को सांस लेने में दिक्कत या नींद में बाधा न हो, तब तक दवा देने की जरूरत नहीं होती। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रीफ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के बाद पुणे के अन्न एवं औषध प्रशासन (एफडीए) ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
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सहायक आयुक्त अश्विनी ठाकरे ने बताया कि पुणे में कोल्ड्रीफ सिरप का स्टॉक नहीं मिला है, लेकिन एहतियात के तौर पर अन्य कंपनियों के सिरप के नमूने मेडिकल स्टोर्स से एकत्र किए जा रहे हैं। लोगों से अपील की गई है कि यदि उनके पास कोल्ड्रीफ सिरप का स्टॉक है, तो तुरंत विभाग को सूचित करें। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कई सर्दी-खांसी की दवाओं में एंटीहिस्टामिन और डीकन्जेस्टेंट जैसे रसायन होते हैं, जो बच्चों में सांस धीमी पड़ने, चक्कर आने और यहां तक कि बेहोशी का कारण भी बन सकते हैं।