
पुणे महानगरपालिका (सोर्स: सोशल मीडिया)
Pune STP Tender Scam: पुणे मनपा की स्थायी समिति द्वारा दो नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और चार मौजूदा परियोजनाओं के नवीनीकरण के लिए 1200 करोड़ रुपए के टेंडर को मंजूरी दिए जाने के बावजूद कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना पर वास्तव में 1860 करोड़ खर्च होंगे।
दोनों विपक्षी दलों ने केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर इस प्रक्रिया के जरिए मनपा पर लगभग 500 करोड़ की ‘डकैती’ डालने का गंभीर आरोप लगाया है। विपक्षी दलों ने चेतावनी दी है कि यदि यह टेंडर रद्द नहीं किया गया तो वे इस मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
इस मामले में नागरिकों के एक समूत की तरफ से मनपा आयुक्त को लिखे गए पत्र में निराशा व्यक्त की गई है। नागरिकों ने कहा है कि मनपा आयुक्त से उम्मीद थी कि उनके कार्यकाल में महानगरपालिका में कोई गलत कामकाज नहीं होगा, लेकिन उनका मानना है कि आयुक्त ने सत्ताधारी दल के दबाव को सर्वोपरि मानते हुए इस संदिग्ध प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
यह परियोजना केंद्र सरकार की अमृत 2 योजना के तहत लाई गई है। इसके तहत शहर के बोपोडी, एरंडवणा, विठ्ठलवाड़ी और न्यू नायडू में चार एसटीपी परियोजनाओं का नवीनीकरण किया जाएगा।
नरवीर तानाजी वाडी तथा भैरोबा नाला में दो नए एसटीपी बनाए जाएंगे। इस परियोजना के टेंडर को स्थायी समिति ने शुक्रवार को मंजूरी दी थी, लेकिन अब इस पर विवाद शुरू हो गया है। टेंडर को लेकर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने भाजपा पर सीधे आरोप लगाए हैं।
दोनों दलों के शहराध्यक्षों ने एक प्रेस नोट जारी किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पुणे महानगरपालिका के इतिहास में पहली बार हाइब्रिड एन्युटी मॉडल (HAM) पद्धति का उपयोग करके टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई।
दोनों दलों के शहराध्यक्षों का कहना है कि यह प्रक्रिया भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी में कार्यरत नागपुर के एक उद्यमी की सुविधा के लिए प्रशासन खासकर मनपा आयुक्त नवल किशोर राम पर दबाव डालकर पूरी की गई।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव के तहत महानगरपालिका के विद्युत और ड्रेनेज विभाग के अधिकारियों ने अनुमानित राशि पर हस्ताक्षर किए और राजनीतिक दबाव तथा दहशत का इस्तेमाल करके रिंग (सांठगांठ) वाले टेंडर को मंजूरी दी गई।
आरोप लगाने वाले समूह ने यह भी दावा किया है कि जिस कंपनी को यह टेंडर आवंटित किया गया है उसके निदेशक भारतीय जनता पार्टी के अधिकृत पदाधिकारी हैं। इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा है कि जिन पुणेकरों ने भाजपा को वोट दिया, उन्हीं के पैसे की इस तरह से लूट करना कहां तक उचित है।
कांग्रेस के शहराध्यक्ष अरविंद शिंदे ने मांग की है कि विद्युत विभाग के अधिकारियों की मानसिकता ठेकेदार-समर्थक होने के कारण उनके वित्तीय अधिकार तुरंत फ्रीज किए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यह टेंडर तत्काल रद्द किया जाए अन्यथा पार्टी की ओर से इस मामले को अदालत में घसीटा जाएगा।
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राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार) के शहराध्यक्ष प्रशांत जगताप ने कहा कि स्वीकृत टेंडर की कुल कीमत 1860 करोड़ रुपए है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह टेंडर प्रक्रिया एक विशिष्ट कंपनी को ध्यान में रखकर की गई है और यह पुणेकरों के टैक्स के पैसे पर खुली डकैती है।
उन्होंने कहा कि महानगरपालिका के पास अपनी जमा पूंजी और सरकारी अनुदान होने के कारण यह परियोजना स्वयं बनाना संभव था, लेकिन भाजपा नेताओं ने हस्तक्षेप करके इसे मंजूर करने के लिए बाध्य किया।
उन्होंने चेतावनी दी है कि इस विवादित टेंडर को रद्द करने की मांग को लेकर वे सौमवार 3 नवंबर को पुणे मनपा के प्रवेश द्वार पर आंदोलन करेंगे और यदि मांग पूरी नहीं हुई तो हम हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।






