
अजित पवार व पार्थ पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
Ajit Pawar Statement In Parth Pawar Case: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार इन दिनों एक बड़े जमीन सौदे में कथित अनियमितताओं को लेकर मुश्किल में हैं। पार्थ पवार और उनकी कंपनी अमेडिया पर पुणे के कोरेगांव पार्क क्षेत्र में लगभग 40 एकड़ की प्रीमियम महार वतन जमीन खरीदते समय करोड़ों रुपये की स्टांप ड्यूटी माफी लेकर अवैध लाभ उठाने का आरोप है। स्टाम्प ड्यूटी विभाग की प्रारंभिक जांच में यह लेन-देन पूरी तरह अवैध पाया गया है।
पार्थ पवार की कंपनी अमेडिया ने, जिसमें उनके मामेभाई दिग्विजय पाटिल भी साझेदार हैं, 22 अप्रैल 2025 को आईटी पार्क स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया। चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ दो दिनों बाद, यानी 24 अप्रैल 2025 को राज्य के उद्योग संचालनालय ने स्टाम्प ड्यूटी माफी को मंजूरी की मोहर दे दी। न तो विस्तृत जांच हुई और न ही औपचारिक समीक्षा। सिर्फ दो दिनों में इतनी बड़ी मंजूरी मिलना संदेहास्पद माना जा रहा है। इस पूरे मामले में कंपनी पर सरकारी नीति का लाभ उठाकर स्टाम्प ड्यूटी में बड़ी राहत हासिल करने का आरोप है।
एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें इन खबरों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं खुद इस मामले की सभी जानकारियां देखकर उसका विश्लेषण करूंगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी तरह की गलत हरकतों को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
अजित पवार ने कहा कि उन्होंने कभी किसी अधिकारी को अपने किसी रिश्तेदार को फायदा पहुंचाने को नहीं कहा, और कोई भी व्यक्ति, चाहे वह उनका करीबी ही क्यों न हो, नियमों को तोड़ने की इजाजत नहीं है। उन्होंने सीएम फडणवीस द्वारा जांच के आदेश दिए जाने का समर्थन किया और कहा कि सच्चाई सामने आनी चाहिए।
वहीं, उद्योग मंत्री उदय सामंत ने दावा किया कि इस जमीन का उद्योग विभाग से कोई संबंध नहीं है और पार्थ पवार के पास मौजूद दस्तावेज नियमों के अनुरूप हैं। दूसरी ओर, सुप्रिया सुले ने अपने भतीजे पार्थ पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा कि उसने कुछ गलत नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में विरोधाभासी बयानों के चलते यह मामला ‘बनाना रिपब्लिक’ जैसा लग रहा है।
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इस खुलासे के बाद, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस जमीन घोटाले की जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खारगे की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच समिति बनाई गई है। जांच में महार वतन की जमीन के नियमों का पालन हुआ या नहीं, यह देखा जाएगा।
मामले की गंभीरता के चलते, पुणे के उपनिबंधक रविंद्र तारू को निलंबित कर दिया गया है, साथ ही पुणे तहसीलदार सूर्यकांत येवले को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।






