पुणे-बेंगलुरु रिंग रोड परियोजना (सौ. सोशल मीडिया )
Pune News In Hindi: महाराष्ट्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (MSRDC) ने पुणे-बेंगलुरु रिंग रोड परियोजना के 31 किलोमीटर लंबे सोलापुर रोड खंड के फिर से टेंडर जारी करने का फैसला किया है। यह हिस्सा हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से हस्तांतरित किया गया था।
सूत्रों के अनुसार एमएसआर डीसी यह कदम परियोजना की कुल लागत को कम करने के उद्देश्य से उठा रहा है। पहले एमएसआरडीसी ने रिंग रोड के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों के लिए भी टेंडर जारी की थी। लेकिन इन टेंडर पर बोलियां अनुमानित लागत से 40-45 प्रतिशत अधिक आई थीं, जिससे परियोजना की अनुमानित लागत 22-23 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर लगभग 40 हजार करोड़ रुपये हो गई थी।
जब 31 किमी सोलापुर रोड हिस्सा एनएचएआई से एमएसआरडीसी को सौंपा गया, तब एमएसआरडीसी ने इस हिस्से के लिए तीन चरणों में टेंडर जारी किया था जिनमें अनुमानित लागत 5,094 करोड़ रुपए थी। लेकिन उस पर प्राप्त बोलियों की कुल राशि 6,733 करोड़ रुपये रही, जो अनुमान से 1,597 करोड़ रुपये अधिक है।
एमएसआरडीसी के अधीक्षण अभियंता राहुल वसइकर ने बताया, उच्च बोली दरों और सीमेंट, इस्पात जैसे निर्माण सामाग्री पर जीएसटी दरों में हाल की बदलावों को ध्यान में रखते हुए हमने मौजूदा टेंडर को रद्द कर फिर से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। प्रक्रिया शीघ्र ही चालू कर दी जाएगी। इस रिंग रोड परियोजना को पुणे एवं पिंपरी-चिंचवड में ट्रैफिक जाम को कम करने का एक प्रमुख प्रयास माना जा रहा है, इस परियोजना को पूर्वी एवं पश्चिमी खंडों मैं विभाजित किया गया है।
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इस खंड की लागत इतनी अधिक होने से परियोजना का वित्तीय दबाव बढ़ गया था, फिर से टेंडर निकालने के निर्णय से एमएसआरडीसी यह सुनिश्चित करना चाहता है कि लागत नियंत्रण में रहे और गुणवत्ता कम न हो। यह कदम यह भी दर्शाता है कि बड़े इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में बोली प्रक्रिया, सामग्री शुल्क में बदलाव और सरकारी नीतियों का बड़ा प्रभाव पड़ता है। अब इस प्रोसेस में दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह देखा जाना है कि फिर से टेंडर में कितनी बोली आती है और परियोजना की कुल लागत कैसे स्थिर होती है।