उजयनराजे भोसले और हर्षवर्धन सपकाल (सौजन्य-सोशल मीडिया)
पुणे: शुक्रवार 11 अप्रैल यानी आज महात्या ज्योतिबा फुले की जयंती मनाई जा रही है। महात्या फुले को महिलाओं के लिए शिक्षा और पहला स्कूल शुरू करने का श्रेय दिया जाता है। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद उदयनराजे भोसले ने शुक्रवार को दावा किया कि वह सातारा शासक प्रतापसिंह भोसले थे जिन्होंने भारत में महिलाओं के लिए पहला स्कूल शुरू किया था, और महात्मा फुले ने महिला शिक्षा के लिए उनका अनुकरण किया।
हालांकि, विपक्षी कांग्रेस ने ‘‘शरारतपूर्ण” टिप्पणी और ‘‘इतिहास को विकृत करने” को लेकर उन पर हमला किया। मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज एवं शाही परिवार की सातारा शाखा से ताल्लुक रखने वाले भोसले महात्मा फुले की जयंती पर फुले वाडा में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
सातारा के सांसद ने कहा, ‘‘अगर गौर से देखा जाए तो महात्मा फुले ने सांप्रदायिक सद्भाव और समानता पर छत्रपति शिवाजी महाराज की शिक्षाओं का पालन किया। वह एक दूरदर्शी और अर्थशास्त्री थे जिन्होंने अपने जीवनभर की पूंजी समाज के कल्याण के लिए खर्च की।” भाजपा नेता ने कहा कि प्रतापसिंह भोसले ने ही सबसे पहले सतारा में अपने महल में महिलाओं के लिए स्कूल शुरू किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘एक दृष्टिकोण के तौर पर महात्मा फुले ने उनका अनुकरण किया। यहां तक कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने भी अपनी प्राथमिक शिक्षा उसी महल में पूरी की।” समाज सुधारक महात्मा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई को भारत में महिला शिक्षा का अग्रदूत माना जाता है। फुले को 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।
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भोसले की टिप्पणी पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने उन पर इतिहास को विकृत करने का आरोप लगाया। हर्षवर्धन सपकाल ने पुणे में कहा, ‘‘ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के शरारतपूर्ण बयान दिए जा रहे हैं। महिला शिक्षा में फुले दंपति का योगदान सर्वविदित है और यह गर्व की बात है। यह ज्योतिबा फुले ही थे जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि (रायगढ़ किले पर स्मारक) की खोज उस समय की थी जब इसे छिपाने के प्रयास किए जा रहे थे।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)