
वोटर लिस्ट (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Local Body Election: पुणे और पिंपरी-चिंचवड शहरों की मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी ने आगामी महानगरपालिका चुनाव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुणे शहर में 3 लाख से अधिक डुप्लीकेट नाम, जबकि पिंपरी-चिंचवड में 92 हजार से ज्यादा डबल वोटर के नाम सामने आए है। ऐसी स्थिति में मतदाता सूची के दुरुस्त होने तक चुनाव घोषित नहीं करने की मांग शिवसेना (उद्धब बालासाहेब ठाकरे) के उपनेता एवं जिला संपर्क प्रमुख, विधायक सचिन अहीर ने की है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि चुनाव प्रक्रिया जल्दबाजी में घोषित की गई तो शिवसेना को सड़क पर उतरकर आंदोलन करना पड़ेगा। इस मौके पर उनके साथ शहर प्रमुख संजय मोरे, गजानन थरकुडे, राज्य संगठक वसंत मोरे, अशोक हरणावल आदि उपस्थित थे।
त्रुटियों का नुकसान आम मतदाताओं को अहीर ने कहा कि पुणे में मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर डुप्लीकेट नाम दर्ज हैं। शिरूर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं के नाम शहर के खराड़ी प्रभाग में दिखाई दे रहे हैं।
प्रभाग परिवर्तन, डुप्लीकेट प्रविष्टियां, स्थानांतरित मतदाताओं का गलत वर्गीकरण इन सभी त्रुटियों का नुकसान आम मतदाताओं को हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक मतदाता सूची को दुरुस्त करने का काम पूरा नहीं हो जाता है तब तक चुनाव की घोषणा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल बने रहेंगे।
अहीर ने सत्ताधारी पक्ष पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेशाध्यक्ष उल्हासनगर की मतदाता सूची पर शिकायत कर रहे हैं। अन्य स्थानों के नेता भी अपने-अपने क्षेत्र में गड़बड़ी का मुद्दा उठा रहे है। पूरे राज्य में इसी तरह की गड़बड़ियां होने के बावजूद सरकार मौन क्यों है?
लोकतंत्र में चुनाव बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन पुणे मनपा की प्रारूप मतदाता सूची में सामने आई गंभीर अनियमितताओं को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। वाांडग्रेस नेता और पूर्व नगरसेवक अविनाश बागवे ने आरोप लगाया है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी प्रशासन की साधारण चूक है या किसी दूषित राजनीतिक मंशे का परिणाम इसकी जांच करना जरुरी है।
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बागवे ने बताया कि प्रभाग क्रमांक 22 में कुल 73 हजार मतदाता दर्ज हैं। इस मतदाता सूची की गहन जांच के दौरान कई गंभीर त्रुटिया मिली है, कासेवाडी, डायस प्लॉट क्षेत्र में 3,600 डुप्लीकेट मतदाता मिले। कई नाम केवल एक शब्द में दर्ज है, जिससे मतदाता की पहचान स्पष्ट नहीं होती है। कुछ मतदाताओं के नाम, पता और उम्र एक जैसे हैं। एक ही पृष्ठ पर कुछ मतदाताओं के चार-चार बार नाम दोहराए गए है।






