हर्षवर्धन सपकाल और देवेंद्र फडणवीस (सोर्स: सोशल मीडिया)
Harshwardhan Sapkal On Devendra Fadnavis: आरएसएस ने इतने वर्षों तक अपने मुख्यालय में तिरंगा नहीं फहराया और अब वे ऐसा कर रहे हैं। आरएसएस के रेशमबाग कार्यालय में संविधान नहीं बल्कि मनुस्मृति है। इसलिए मनुस्मृति हटाकर संविधान अपनाना चाहिए और आरएसएस को भंग कर देना चाहिए। यह बड़ा बयान महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने दिया है।
एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दिन रात प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहे है। इस मौके पर उन्होंने कहा युवा कांग्रेस की ओर से आरएसएस को भारतीय संविधान भेंट किया जाएगा। सपकाल ने कहा कि आरएसएस के 100 साल पूरे होने का दिन 2 अक्टूबर को है जो महात्मा गांधी की जयंती भी है।
उन्होंने इसे नियति का खेल बताते हुए कहा कि यह एक संकेत है कि कैसे गांधी आरएसएस पर हावी हो गए हैं। यह टिप्पणी पुणे श्रमिक पत्रकार संघ द्वारा आयोजित एक प्रेस वार्ता में की गई, जहां सपकाल ने आरएएस के 100 साल पूरे होने पर अपनी राय रखी।
इस मौके पर हर्षवर्धन सपकाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रधानमंत्री बनने के सपनों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो ‘राष्ट्रीय सेठ’ हैं, जिन्हें उन्होंने अकूत धन दिया है। उसी तरह, फडणवीस भी कंबोज नामक व्यक्ति को समृद्ध कर रहे हैं, ताकि प्रधानमंत्री पद के लिए आवश्यक ‘मसाला’ (साधन) जमा किया जा सके।
सपकाल ने आरोप लगाया कि मुंबई का बड़ा हिस्सा दिल्ली के आदेश पर अडाणी को सौंपने के बाद फडणवीस मुंबई के बचे हुए हिस्से को कंबोज को देने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने दावा किया कि 75 साल पूरे होने पर मोदी का इस्तीफा लिया जाएगा और इस संबंध में रेशमबाग से मोदी को भी निर्देश दिए गए हैं। फडणवीस को यह जानकारी है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि आगामी स्थानीय निकाय चुनाव में महाविकास आघाड़ी में गठबंधन नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी और गठबंधन करने या न करने का फैसला स्थानीय नेताओं पर छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि गठबंधन में चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान होता है, क्योंकि कई बार सक्षम उम्मीदवार होने के बावजूद उन्हें मौका नहीं मिल पाता।
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सपकाल यह भी कहा कि गठबंधन के कारण पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘पंजा’ कई जगहों से गायब हो गया है। इसीलिए, पार्टी ने स्थानीय नेताओं को यह अधिकार दिया है कि वे अपनी जरूरत के अनुसार गठबंधन का फैसला लें।
एक सवाल के जवाब में सपकाल ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस कमजोर हो गई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हमेशा से एक जन-आधारित पार्टी रही है, और अब वे इसे एक मजबूत ‘कैडर-आधारित’ पार्टी बनाने की कोशिश कर रहे हैं।