प्रकाश आंबेडकर (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: फिल्म छावा और महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी द्वारा किए गए औरंगजेब के महिमामंडन के बाद औरंगजेब की कब्र विवाद का विषय बन गई है। औरंगजेब की कब्र को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में जबरदस्त तनाव देखने को मिल रहा है। हिंदुत्ववादी संगठनों के साथ-साथ कई राजनीतिक नेता भी कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं। इस वजह से नागपुर में हुई हिंसा के बाद राज्य में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। इसी क्रम में वंचित बहुजन आघाडी के नेता प्रकाश आंबेडकर ने औरंगजेब विवाद को लेकर बीजेपी पर बड़ा बयान दिया है।
प्रकाश आंबेडकर ने सोशल मीडिया पर कहा है कि ‘औरंगजेब की कब्र’ को बीजेपी 2029 में होने वाले आगामी चुनावों के लिए मुद्दा बना रही है। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधते हुए लिखे गए अपने ट्वीट में आंबेडकर ने कहा है कि औरंगजेब की कब्र अगली अयोध्या होगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस सांप्रदायिक नफरत और हिंसा की आग पे अपनी सियासी रोटी सेंकती हैं। सांप्रदायिक नफरत और हिंसा के बिना, भाजपा-आरएसएस का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
प्रकाश आंबेडकर ने सोशल मीडिया मंच से एक्स पर लिखा कि “राज्य के बाहर के लोग औरंगजेब के कब्र को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अब अयोध्या से कोई राजनीतिक लाभ नहीं है, लेकिन औरंगजेब की कब्र से राजनीतिक लाभ है, इसलिए यह दूसरी अयोध्या होने की संभावना है। लोकसभा चुनाव होने तक महाराष्ट्र को सुलगाए रखने के लिए काम चल रहा है।”
राज्याच्या बाहेरील लोक औरंगजेबच्या मजारला राष्ट्रीय मुद्दा करण्याचा प्रयत्न करत आहेत. अयोध्या पासून आता राजकीय फायदा नाही पण औरंगजेबची मजार पासून राजकीय फायदा आहे म्हणून हे दुसरे अयोध्या होण्याची शक्यता आहे.
लोकसभेच्या निवडणुका होत नाही तोपर्यंत महाराष्ट्राला पेटत ठेवण्याचे काम… pic.twitter.com/Z5VPaYAMyL
— Vanchit Bahujan Aaghadi (@VBAforIndia) March 19, 2025
उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र में वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने और राजनीतिक लाभ लेने के लिए सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ा जा रहा है और सांप्रदायिक तनाव भड़काया जा रहा है। महाराष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक और नीतिगत समस्याओं को हल करने के लिए क्या किया जा रहा है?
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प्रकाश आबंडेकर ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए लिखा कि राज्य पर 9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। किसान आत्महत्या, महिलाओं पर अत्याचार, बेरोजगारी, जल संकट, कृषि उत्पादों के लिए गारंटीकृत मूल्य और कई अन्य संकट राज्य को त्रस्त कर रहे हैं।