सांक्तिक तस्वीर (Image- social Media)
Nasik News: नासिक में आदिवासी आयुक्त कार्यालय के सामने पिछले दो महीनों से डेरा डाले बैठे बिऱ्हाड आंदोलनकारियों ने अब राज्य के सभी सरपंचों की उपस्थिति में एक संयुक्त ग्रामसभा आयोजित करने का फैसला किया है। इसके लिए दो दिनों में जिलाधिकारी जलज शर्मा को आधिकारिक निमंत्रण भेजा जाएगा। इस ग्रामसभा में ‘हमारे गांव में ठेका शिक्षक नहीं चाहिए’ का प्रस्ताव रखा जाएगा।
आदिवासी विकास विभाग ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की जगह निजी कंपनी के माध्यम से शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती का निर्णय लिया है। इसके तहत एक निजी कंपनी को ठेका देकर भर्ती प्रक्रिया चलाई जा रही है। इसी के विरोध में दैनिक वेतन पर काम करने वाले (घंटे के हिसाब से) शिक्षक और गैर-शिक्षण कर्मचारी पिछले दो महीनों से आंदोलन कर रहे हैं।
उन्होंने समय-समय पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार और प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। इसी स्थिति में उन्होंने अब बिऱ्हाड आंदोलन स्थल पर सितंबर के दूसरे सप्ताह में ‘मेरा गांव, मेरा निर्णय’ के तहत एक संयुक्त ग्रामसभा आयोजित करने का निर्णय लिया है।
‘पेसा’ (PESA) कानून के तहत ‘अनुसूचित पांच’ में सामाजिक प्रावधानों को लागू करने के लिए आदिवासी समुदाय को संयुक्त ग्रामसभा आयोजित करने का अधिकार दिया गया है। इसी अधिकार का उपयोग करके यह ग्रामसभा आयोजित की जाएगी। यह सभा स्थानीय जिलाधिकारी या उनके प्रतिनिधि की उपस्थिति में होती है। इस सभा में बहुमत से पारित प्रस्तावों को कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार और राज्यपाल को भेजा जाता है जिससे इस सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त होता है।
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इस ग्रामसभा में ठेका कर्मचारियों के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर उसे राज्यपाल को भेजने की योजना है। राज्य के 13 जिलों में करीब ढाई हजार अनुसूचित जनजाति के सरपंच कार्यरत हैं। उन सभी को इस ग्रामसभा का आधिकारिक निमंत्रण भेजा जाएगा जहाँ ‘हमारे गांव में ठेका शिक्षक नहीं चाहिए’ का प्रस्ताव रखा जाएगा।