(डिजाइन फोटो)
नासिक: नासिक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सिन्नर विधानसभा सीट 1962 से अस्तित्व में है। यह एक सामान्य श्रेणी की सीट है। इस सीट पर अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का बोलबाला माना जाता है। पहले के कुछ वर्षों में इस सीट पर कांग्रेस का राज था, लेकिन 1990 से लेकर 2009 तक यह सीट के कब्जे से बाहर रही। 2009 में कांग्रेस ने यह सीट वापस ली लेकिन 2014 में शिवसेना ने इसे फिर छीन लिया। अभी यहां से एनसीपी अजित पवार गुट के माणिकराव कोकाटे विधायक हैं।
2019 विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल 2 लाख 77 हजार 523 पंजीकृत वोटर्स हैं। अगर जातिगत आंकड़ों की बात करें तो 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां 171,794 एसटी वोटर्स हैं जो कि कुल वोटर्स का 62.43% है। इसके अलावा यहां कुल वोट का 8.4% फीसदी यानी लगभग 23,115 एससी मतदाता भी हैं। 5.1 प्रतिशत यानी करीब लगभग 14,034 मुस्लिम वोटर्स हैं। विधानसभा में ग्रामीण मतदाता लगभग 261,116 हैं, जो 2011 जो कि कुल वोट का 94.89% है।
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इस सीट की सबसे खास बात यह है कि यहां के मतदाता जल्दी बदलाव की ओर नहीं जाते। इस सीट का इतिहास खंगाले तो पता चलता है कि यहां जाे भी विधायक बना उसने कम से कम तीन बार लगतार जीत हासिल की। यहां पार्टी नहीं उम्मीदवार पर चुनाव जीता जाता है। पहले तुकाराम सखाराम दिघोले और अब माणिकराव शिवजीराव कोकाटे पार्टी बदलते रहे पर और चुनाव जीतते रहे।
येवला विधानसभा सीट का इतिहास (ग्राफिक इमेज)
माणिकराव शिवाजीराव कोकाटे ने अपनी राजनीतिक यात्रा कम उम्र में कांग्रेस से शुरू की थी। 1999 में कांग्रेस छोड़ शरद पवार द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए। लेकिन सिन्नर विधानसभा क्षेत्र से टिकट देने से इनकार किया तो वह शिवसेना में शामिल हो गए और 1999 और 2004 में चुनाव जीतकर विधायक बन गए। 2009 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर सिन्नर से तीसरी बार जीत हासिल की। 2019 के विधानसभा चुनावों के लिए वे राकांपा में फिर से शामिल हो गए और चौथी बार सिन्नर विधानसभा क्षेत्र से मामूली अंतर से जीत हासिल की।
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सिन्नर विधानसभा सीट पहले कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। लेकिन अब एनसीपी और शिवसेना का गढ़ मानी जाती है। इस बार भी शिवसेना और एनसीपी में सीधी लड़ाई होने की उम्मीद है। सिन्नर सीट यदि महायुति में अजित पवार के खाते जाती है तो यहां से एक बार फिर माणिकराव कोकाटे को चुनावी मैदान में हो सकते हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन में यह महा विकास आघाड़ी में यह शरद पवार गुट और उद्धव गुट में से किसके पास जाती है, यह देखना दिलचस्प होगा।