
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
School Counseling Mandatory News: नाशिक राज्य में स्टूडेंट्स पर पढ़ाई के बढ़ते बोझ, अंकों की अंधी दौड़ से होने वाले मानसिक तनाव और डिप्रेशन की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अब राज्य के हर स्कूल में स्टूडेंट्स के लिए काउंसलिंग (परामर्श) की सुविधा अनिवार्य होगी। इसके लिए विशेषज्ञों और ‘साइकेट्रिस्ट’ (मनोचिकित्सक) की मदद ली जाएगी। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ को मजबूत करना और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।
सरकार ने निर्देश दिया है कि कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए गाइडेंस और काउंसलिंग पर खास ध्यान दिया जाए। अक्सर इसी उम्र में करियर और बोर्ड परीक्षाओं का सबसे ज्यादा तनाव होता है। स्टूडेंट्स का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगें। परीक्षा के डर को दूर करने और तनाव को नियंत्रित करने के लिए एक्सपर्ट्स ट्रेनिंग देंगें। व्यक्तिगत सलाह के साथ-साथ ग्रुप सेशन भी होंगें ताकि बच्चे एक-दूसरे के अनुभवों से सीख सकें।
इस योजना के तहत केवल छात्र ही नहीं, बल्कि टीचर्स के लिए भी मेंटल हेल्थ काउंसलिंग कोर्स चलाए जाएंगे। इससे टीचर्स अपने स्टूडेंट्स की मानसिक स्थिति और उनके व्यवहार में आने वाले बदलावों को बारीकी से पहचान सकेंगें। जब टीचर्स संवेदनशील होंगें, तभी वे संकट के समय स्टूडेंट्स की सही समय पर मदद कर पाएंगें।
स्टूडेंट्स को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने अभिनव तरीका अपनाया है। मेटल हेल्थ से जुड़ी हेल्पलाइन अब सीधे टेक्स्ट बुक्स (पाठ्यपुस्तकों) में प्रिंट की जाएंगी।
जरूरत पड़ने पर छात्र सीधे विशेषज्ञों से संपर्क कर सकेंगें, नीति तय करने और उसकी मॉनिटरिंग के लिए 9 सदस्यों की एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है, जो समय-समय पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
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आज के दौर में तुलना और उम्मीदों का दबाव इतना ज्यादा है कि बच्चे अपना बचपन खो रहे हैं। खेल-कूद और हॉबी के बजाय सारा ध्यान सिर्फ मावर्स पर सिमट गया है। मनोचिकित्सकों का मानना है कि पेरेंट्स को बच्चों पर जरूरत से ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए। हर बच्चे को एक खुशहाल और तनावमुक्त बचपन जीने का अधिकार है, तभी वह एक मजबूत नागरिक बन पाएगा।






