
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया)
Nashik School Bus Children’s Safety: नासिक जिले के शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों को लाने-ले जाने वाली स्कूल बसों और वैन की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरटीओ विभाग द्वारा चलाए गए विशेष जांच अभियान में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
खस्ताहाल गाड़ियां, टूटी खिड़कियां और सुरक्षा उपकरणों का अभाव बच्चों की जान जोखिम में डाल रहा है। नासिक आरटीओ ने साल भर में 1051 बसों की जांच की, जिसमें नियमों का उल्लंघन करने वाली 106 स्कूल बसों पर 3,46,500
रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
जांच के दौरान पता चला कि कई बसों की हालत इतनी खराब है कि उनके दरवाजे और खिड़कियां तक टूटे हुए हैं। नियमानुसार स्कूल बसों में फर्स्ट एड बॉक्स, इमरजेंसी एग्जिट, अग्निशामक यंत्र (फायर एक्सटिग्विशर), बैग और पानी की बोतल रखने की उचित जगह होना अनिवार्य है। साथ ही ड्राइवर का यूनिफॉर्म में होना और छात्रों की सूची बस में रखना जरूरी है, लेकिन कई मामलों में इन नियमों की अनदेखी की जा रही है।
सभी स्कूल बस ड्राइवरों को यातायात नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए, बसों में क्षमता से अधिक बच्चे न बैठाएं और ड्राइविंग के दौरान मोबाइल का उपयोग बिल्कुल न करें। सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित करने के लिए आरटीओ विभाग लगातार मार्गदर्शन और जांच अभियान चलाता रहेगा।
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, नासिक- प्रदीप शिंदे
आधुनिक सुरक्षा मानकों के अनुसार, स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे और जीपीएस सिस्टम होना अनिवार्य है ताकि बच्चों की लोकेशन और गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।
हालांकि, जांच में पाया गया कि अधिकांश पुरानी गाडियों में ये सिस्टम या तो लगे ही नहीं है या काम नहीं कर रहे हैं।
नई गाड़ियों में केवल स्पीड गवर्नर ही ठीक से काम करते पाए गए हैं।
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि स्कूल बस में स्टूडेंट्स को ले जाते समय कोई दुर्घटना होती है, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित बस ड्राइवर और मैनेजमेंट की होगी।
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शहर में कुल 2,786 स्कूल बसें रजिस्टर्ड हैं, जिन्हें फिट और सुरक्षित रखना अनिवार्य है। आरटीओ ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने वाली गाड़ियों की सुरक्षा जांच खुद भी समय-समय पर करें।






