नासिक महानगरपालिका (pic credit; social media)
Nashik Civic Elections: नासिक की 11 नगर परिषदों और 6 नगर पंचायतों के नगराध्यक्ष पदों के लिए आरक्षण लॉटरी घोषित कर दी गई है। इस घोषणा ने इच्छुक नेताओं में हड़कंप मचा दिया है। कई उम्मीदवारों को निराशा हाथ लगी है, जबकि कुछ को राहत मिली है। अब आगामी चुनावों की राजनीतिक रणनीति में बड़े बदलाव की संभावना बन गई है।
खासकर दो नए नगर परिषदों के नेताओं को यह आरक्षण बड़ा झटका लगा है। पिंपलगांव बसवंत में नगराध्यक्ष पद अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित हो गया है, वहीं ओझर में नगराध्यक्ष पद अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हुआ है। आरक्षण लागू होने से कई दिग्गज नेताओं का सपना अब नगर सेवक (पार्षद) पद तक ही सीमित रह गया है।
वहीं नांदगांव, सिन्नर और मनमाड के नगराध्यक्ष पद खुले (ओपन) घोषित किए गए हैं, जहां अब चुनावी मुकाबला और तीव्र होने वाला है।
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आरक्षण की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती सक्षम महिला उम्मीदवारों की खोज बन गई है। कई निवर्तमान नगराध्यक्षों को अब अपनी पत्नी या बेटी को चुनावी मैदान में वारिस के तौर पर उतारना पड़ सकता है। दलों को नए चेहरों और मजबूत महिला नेताओं को आगे लाना होगा ताकि आरक्षित सीटों पर जीत सुनिश्चित हो सके।
पिछली बार ज्यादातर जगहों पर शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठबंधन था, लेकिन इस बार दोनों दलों में फूट पड़ चुकी है। इससे स्थानीय राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। आगामी चुनाव में पार्टियों की संख्या बढ़ने और नए गठबंधनों या मोर्चों के बनने की संभावना भी है।
अब सभी की निगाहें 8 अक्टूबर को होने वाली प्रभाग-वान (वार्ड) आरक्षण लॉटरी पर टिकी हुई हैं। यह प्रक्रिया तय करेगी कि प्रत्येक वार्ड से किसे चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा।
इस आरक्षण प्रक्रिया ने न केवल उम्मीदवारों की रणनीति बदल दी है, बल्कि जिले के स्थानीय निकाय चुनावों में राजनीतिक संघर्ष को और भी बढ़ा दिया है। अब नाशिक के चुनावी मैदान में प्रतियोगिता और दिलचस्प होने वाली है, और यह तय करेगा कि कौन सी नई चेहरे और महिला नेताओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।