
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया)
Indian Insurance Companies News: संसद में ‘इंश्योरेंस एक्ट अमेंडमेंट बिल 2025’ पर चर्चा के दौरान नाशिक के सांसद राजाभाऊ वाजे ने केंद्र सरकार की नीतियों पर कड़ा प्रहार किया।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह बिल केवल तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि देश की आर्थिक संप्रभुता और करोड़ों नागरिकों की सामाजिक सुरक्षा से जुड़ा संवेदनशील मामला है।
वाजे ने चेतावनी दी कि सरकार का “बीमा सबके लिए 2047” का लक्ष्य तब तक अधूरा है, जब तक नागरिकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित न हो। सरकार ने इस बिल के माध्यम से बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा है।
सांसद वाजे ने FDI इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि 100 प्रतिशत एफडीआई से भारतीय बीमा कंपनियां पूरी तरह विदेशी नियंत्रण में चली जाएंगी। बीमा क्षेत्र शेयर बाजार की तरह केवल मुनाफे का जरिया नहीं है।
यह परिवारों के भविष्य और देश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का आधार है। वाजे ने सरकार से पूछा कि क्या विदेशी शेयरधारकों के हितों को भारतीय पॉलिसी धारकों की सुरक्षा से ऊपर रखा जा रहा है?
सांसद वाजे ने आधार और पैन जैसी संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी के रियल-टाइम डेटा साझाकरण पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 100 प्रतिशत विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों के दौर में भारतीयों का निजी डेटा सुरक्षित नहीं रहेगा।
साइबर हमलों के बढ़ते खतरे और कमजोर प्राइवेसी गारंटी के कारण एक सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस करोड़ों नागरिकों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
बिल में आईआरडीएआई (IRDAI) को सेबी (SEBI) जैसी सजा देने और रिकवरी करने की असीमित शक्तियां देने का प्रस्ताव है।
वाजे ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले संसद में चर्चा के बिना ही रेगुलेटरी स्तर पर लिए जाने की संभावना है।
उन्होंने मांग की कि इस बिल की गहराई से जांच के लिए इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।
सांसद वाजे ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि किसी भी कानून में बदलाव संतुलित और पारदर्शी होना चाहिए। यदि सरकार ने केवल विदेशी निवेश पर ध्यान दिया, तो ‘सबका बीमा’ महज एक चुनावी नारा बनकर रह जाएगा और आम आदमी की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
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किसी भी कानून में समय के साथ बदलाव की जरूरत होती है, लेकिन यह बैलेंस्ड और ट्रांसपेरेंट होना चाहिए। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा सबसे ऊपर है, वरना सबकी रक्षा असल में खतरे में पड़ जाएगी।”
– राजाभाऊ वाजे, सांसद, नाशिक






