
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nashik News In Hindi: राज्य सूचना आयोग के नासिक खंडपीठ में मामलों का अंबार लगातार बढ़ता जा रहा है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, खंडपीठ के पास फिलहाल 13,529 मामले लंबित हैं। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत नागरिकों द्वारा दाखिल अपीलों के निपटारे में देरी से पारदर्शिता की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
नासिक खंडपीठ की स्थापना 15 अक्टूबर 2010 को की गई थी। इसके अधिकार क्षेत्र में नासिक, अहमदनगर, जलगांव, धुले और नंदुरबार ये पांच जिले शामिल हैं। यहां से आने वाली द्वितीय अपीलों की सुनवाई की जाती है। वर्तमान में भूपेंद्र गुरव राज्य सूचना आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।
जनवरी से सितंबर 2025 के बीच आयोग ने 3,486 मामलों का निपटारा किया, जबकि पिछले वर्ष 48 अधिकारियों पर ₹4 लाख 1 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इसके बावजूद लंबित मामलों की संख्या कम नहीं हो पा रही है।
खंडपीठ में लंबित मामलों का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। वर्ष 2018 के अंत में जहां 6,557 अपीलें लंबित थीं, वहीं 2019 में 3,776 नए मामले जुड़ गए और यह संख्या 10,233 तक पहुंच गई। उसी वर्ष 4,432 मामलों का निपटारा किया गया था, लेकिन नई अपीलों की बढ़ती दर के कारण लंबित मामलों में अपेक्षित कमी नहीं आई।
सूचना आयोग के अनुसार, RTI कानून के तहत किसी भी सरकारी कार्यालय को आवेदन मिलने के 30 दिनों के भीतर सूचना देना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं होता, तो आवेदक को 45 दिनों में प्रथम अपील करने का अधिकार है। प्रथम अपील के बाद भी समाधान न मिलने पर द्वितीय अपील आयोग के पास पहुंचती है।
यह भी पढ़ें:- कौन होगा गोपीनाथ मुंडे का उत्तराधिकारी? धनंजय और पंकजा में छिड़ी जंग! करुणा के बयान से आया भूचाल
जानकारी के अनुसार, नासिक खंडपीठ द्वारा दंडित अधिकारियों में राजस्व विभाग, जिला परिषद, शिक्षा विभाग और लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारी प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनमें नायब तहसीलदार, ग्रामसेवक, तलाठी, गटविकास अधिकारी और शाखा अभियंता जैसे अधिकारी शामिल हैं।
सूचना आयोग का कहना है कि बढ़ते मामलों के कारण प्रत्येक अपील पर सुनवाई में समय लग रहा है। अधिकारियों की लापरवाही और सूचना में देरी पर भविष्य में और कड़े कदम उठाने की संभावना जताई जा रही है।
नागरिकों की मांग है कि आयोग में अतिरिक्त आयुक्तों की नियुक्ति और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम लागू किया जाए, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।






