
प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: AI)
Bhandara Police Attacked: भंडारा जिले के साकोली तहसील के सानगड़ी गांव में दिवाली के दौरान पारंपरिक “मुर्गा चिट्ठी” नामक प्रसिद्ध खेल की आड़ में लाखों रुपये के जुए का अवैध कारोबार चल रहा है। जब पुलिस ने इस पर कार्रवाई करने की कोशिश की, तो जुआरियों ने पुलिस दल पर ही हमला कर दिया, जिससे पुलिसकर्मियों को पीछे हटना पड़ा।
सानगड़ी में सदियों से मनाया जाने वाला “मुर्गा चिट्ठी” उत्सव पहले सामाजिक एकता और भाईचारे का प्रतीक माना जाता था। इस दौरान मुर्गों की नीलामी के माध्यम से गांव में आनंद और उत्साह का माहौल बनता था, जहां रिश्तेदार, मित्र और बाहरी लोग एकत्र होकर पारंपरिक खेल का आनंद लेते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस पारंपरिक उत्सव पर पैसों की छाया पड़ गई है।
अब इस उत्सव की जगह झेंडीमुंडी, तीन पत्ती, सट्टा, चक्कर और हाथ की सफाई वाले गोटियों के खेल खेले जा रहे हैं। लाखों रुपये के लेनदेन और स्थानीय युवकों की बढ़ती भागीदारी के चलते यह उत्सव अब बड़े “जुआ अड्डे” में तब्दील हो गया है।
स्थानीय पुलिस ने जब चल रहे इस अवैध जुआ बाजार पर छापा मारा, तो वहां मौजूद कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले से पुलिसकर्मी घबरा गए और उन्हें घटनास्थल से लौटना पड़ा। इस घटना के बाद नागरिकों के बीच सवाल उठ रहा है “क्या अब जुआरियों का खौफ पुलिस से ज्यादा हो गया है?”
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सूत्रों के अनुसार, घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को तुरंत दी गई, लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। गुरुवार को सानगड़ी क्षेत्र में 20-25 जुआ अड्डों पर कार्रवाई की संभावना थी, मगर किसी भी प्रकार की हलचल नहीं दिखाई दी। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ पूर्व पुलिसकर्मियों की मौन सहमति से ही यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
भाईदूज समाप्त होते ही ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक मंडई उत्सव शुरू हो जाता है। इस दौरान झेंडीमुंडी, तीन पत्ती और सट्टेबाज अपने ठिकाने गांव-गांव में बदल लेते हैं। मंडई में आने वाले मजदूरों, मेहमानों और बच्चों को “खेल” के नाम पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। अब खबर है कि सानगड़ी के जुआरी “मंडई क्षेत्रों” की ओर रुख करने की तैयारी में हैं।
सानगड़ी गांव के नागरिकों ने जिला पुलिस अधीक्षक को लिखित ज्ञापन देकर इन जुआ अड्डों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है “मुर्गा चिट्ठी हमारा गौरवशाली पारंपरिक उत्सव है। इसे जुए का रूप देकर गांव की बदनामी करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।






