
Nashik Municipal Election: नासिक महानगरपालिका चुनाव इस बार न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि तकनीकी रूप से भी काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है।
महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच जारी रस्साकशी, बगावत के सुर और निर्दलीय उम्मीदवारों की भारी भीड़ के कारण चुनावी मैदान में दावेदारों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है।
इसी का असर अब वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर भी पड़ने वाला है। प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि इस बार हर वार्ड में एक के बजाय कम से कम दो से तीन बैलेट यूनिट (ईवीएम) की जरूरत पड़ेगी।
जब किसी वार्ड में उम्मीदवारों की संख्या 15 से अधिक हो जाती है, तो एक ही मशीन में सभी के नाम और चुनाव चिह्न समाहित करना मुमकिन नहीं होता।
नासिक की वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने कमर कस ली है- मध्य प्रदेश राज्य चुनाव आयोग से नासिक और मालेगांव के लिए 2,300 कंट्रोल यूनिट और 4,600 बैलेट यूनिट प्राप्त किए जा रहे है।
पिछले चुनावों की तुलना में इस बार मशीनों की कुल संख्या दोगुनी से भी अधिक होगी। राज्य चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, शहर में कुल 1568 पोलिंग स्टेशन बनाए गए है।
प्रत्येक स्टेशन पर औसतन 700 से 800 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, मशीनों की संख्या बढ़ने से सबसे बड़ी चुनौती मतदाताओं के लिए होगी।
एक से ज्यादा मशीने होने पर बुजुर्गों, पहली बार वोट देने वाले युवाओं और कम पढ़े-लिखे मतदाताओं के भ्रमित होने का डर है। प्रशासन की जिम्मेदारीः प्रशासन के लिए अब ‘वोटर अवेयरनेस‘ और ‘मोंक पौल’ (दिखावटी मतदान) के जरिए लोगों को सही जानकारी देना बड़ी प्राथमिकता बन गई है।
जानकारों का मानना है कि पोलिंग स्टेशनों पर अधिक संख्या में वॉलंटियर्स की तैनाती और मशीनों के इस्तेमाल की आसान जानकारी वाले पोस्टर लगाने से कन्फ्यूजन को कम किया जा सकता है।
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उम्मीदवारों के मैदान से नाम वापस न लेने की बढ़ती संभावना ने प्रशासन की इस चिंता को और बढ़ा दिया है।
मनपा की सत्ता के लिए होने वाली इस महाजंग की सफलता अब केवल वोटिंग पर नहीं, बल्कि ईवीएम मैनेजमेंट और मतदाताओं के रिस्पॉन्स पर निर्भर करेगी।






