स्टील की थालियां लिए रामतीर्थ गोदावरी सेवा समिति के सदस्य (फोटो नवभारत)
नासिक: सदियों से केले के पत्तों की पत्रावली पर भोजन करने से शरीर की कई बीमारियों के दूर होने की मान्यता रही है, इसलिए पुराने समय में भोजन के लिए केले के पत्तों की पत्रावलियों का उपयोग होता था लेकिन बाद में स्टील की थालियों का उपयोग होने लगा। समय के साथ बदलाव हुए और अब प्लास्टिक तथा थर्मोकोल से बनी पत्रावलियों का उपयोग भोजन के लिए किया जाने लगा है। लेकिन ये पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं।
नासिक में आयोजित होने वाले आगामी सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान लाखों भक्तों के लिए भंडारों का आयोजन किया जाएगा। ऐसे में यह सवाल खड़ा होगा कि इस्तेमाल की गई पत्रावलियों का क्या किया जाए? प्रयागराज कुंभ मेले में लगभग 30 हजार टन कचरा एकत्र किया गया था।
नासिक कुंभ मेले में ऐसी समस्या न हो और कुंभ मेले के दौरान गोदावरी नदी का तट तथा पूरा परिसर स्वच्छ रहे, इस उद्देश्य से रामतीर्थ गोदावरी सेवा समिति ने 30 लाख स्टील की थालियां, गिलास और कपड़े की थैलियां वितरित करेगी।
आगामी कुंभ मेला बारिश के मौसम में ही आ रहा है, जिससे हर जगह कीचड़ और भीड़ होगी। पिछले अनुभवों को देखते हुए उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए समिति ने आने वाले 2026-27 के कुंभ को पर्यावरण के अनुकूल, प्रदूषण रहित और ‘हरित कुंभ’ बनाने के दृष्टिकोण से पर्यावरण-अनुकूल सामग्री के उपयोग और आने वाले लाखों साधु-संतों तथा अखाड़ों के लिए सुव्यवस्थित योजना एवं पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है। इस अनोखी पहल में आम जनता को भी शामिल कर इसे केवल एक परियोजना न रखकर एक जन-आंदोलन बनाने के लिए समिति द्वारा प्रयास किए जाएंगे।
इस पहल के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों से सीएसआर फंड के माध्यम से धन प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही, जो शहरवासी इसमें शामिल होना चाहते हैं, उनके लिए एक अलग बैंक खाता तैयार किया जाएगा और उसके माध्यम से धन एकत्र किया जाएगा। यह सब करते हुए, विभिन्न सामाजिक संगठनों की मदद से, सेवा समिति के सदस्य स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय, निजी संस्थान और औद्योगिक कंपनियों में जाकर जागरूकता अभियान चलाएंगे।
गोदावरी नदी में बड़ी मात्रा में अपशिष्ट जल मिल रहा है। गोवर्धन गांव से लेकर रामकुंड तक 39 ब्लैक स्पॉट हैं, जिन्हें प्रशासन के संज्ञान में लाया गया है। इस अपशिष्ट जल और रसायन युक्त पानी को गोदावरी नदी में मिलने से रोकने के लिए प्रशासन की मदद से उपाय करने का प्रयास किया जाएगा, जिससे कुंभ मेले में आने वाले करोड़ों भक्तों को प्रदूषण मुक्त तीर्थ मिल सकेगा।
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इस बीच, समिति विभिन्न संगठनों के सहयोग से जल्द ही गोदावरी नदी के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप पर आधारित एक शोध-आधारित संदर्भ ग्रंथ प्रकाशित करेगी। यह ग्रंथ आम भक्तों और शोधकर्ताओं को वितरित कर गोदामाई (गोदावरी माता) के महत्व को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही, इसके माध्यम से देश और विदेश के भक्तों के बीच नासिक के कुंभ मेले की महिमा का व्यापक प्रसार करके नासिक की ब्रांडिंग भी की जाएगी।